ऋषिकेश, चंद्रभागा नदी के किनारे वर्षों से अवैध झोपड़ियां डाल कर निवास कर रहे सैकड़ों लोगों की झोपड़ियां प्रशासन ने ध्वस्त कर दीं।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। इस बीच अतिक्रमण हटा रहे अधिकारियों को मौके पर मौजूूूद कुछ तथाकथित नेताओं ने रोकने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे।
उल्लेखनीय है कि एनजीटी के आदेश पर सिंचाई विभाग की भूमि पर चंद्रभागा नदी में वर्षों से अवैध रूप से रह रहे लोगों को तहसीलदार रेखा आर्य के निर्देशन में नगर निगम सिंचाई विभाग की ओर से पूर्व नगर निगम आयुक्त ने नोटिस भेजकर जमीन संबंधी सुनवाई भी की थी। इनमें 86 लोगों की सुनवाई के दौरान पाया गया था कि सभी कब्जे धारी उत्तर प्रदेश, बिहार एवं बंगाल से आकर अवैध रूप से रह रहे हैं। इनकी जमीनें एवं मकान उक्त प्रदेशों में भी हैं लेकिन वह दिहाड़ी, मजदूरी करने के लिए यहां आए हैं। उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है। इनका इस्तेमाल राजनीतिक दल अपनी रैलियों और धरना प्रदर्शनों में भीड़ जुटाने के लिए करते हैं।
अवैध झुग्गियों को हटाने के लिए जेसीबी चलाने से पहले उप जिलाधिकारी ने सार्वजनिक रूप से मुनादी भी कराई थी। बावजूद इसके अवैध कब्जे धारी टस से मस नहीं हुए। परिणाम स्वरूप अवैध कब्जे धारियों को हटाने के लिए प्रशासन को मजबूर होना पड़ा। अतिक्रमण हटाओ अभियान के समय कुछ तथाकथित नेता भी मौके पर पहुंचे और अधिकारियों से उलझने लगे। उन्हें एनजीटी के आदेश का हवाला देते हुए भगा दिया गया। हालाकी चंद्रभागा में बसे अवैध अतिक्रमण कार्यों को 1 महीने पहले भी हटाया गया था लेकिन वह फिर वहीं पर आकर बस गए थे।