(हरिद्वार) विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा कांवड़ मेला का विधिवत शुभारंभ हो गया। हालांकि शिव जलाभिषेक के लिए गंगाजल लेने को कावड़ियों के हरिद्वार आने व जाने का क्रम करीब एक सप्ताह पहले से शुरू हो गया था।
पूर्णिमा के दिन ही धर्मनगरी में शिवभक्तों का सैलाब उमड़ गया है। सावन शुरू हो चुका है, ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार कांवड़ यात्रा पहले के सभी रिकॉर्ड तोड सकती है।हालांकि सावन के पहले तीन चार दिन में बहुत कम भीड़ नजर आई। शुक्रवार से कांवड़ पटरी भी कांवड़ों से गुलजार हो गई है। कांवड़ पटरी से कांवड़ों का आना जाना शुरु हो गया है।
कावड़ यात्रा का आरंभ गुरु पूर्णिमा के अगले रोज श्रावण मास की शुरुआत से मनाया जाता है। इसलिए यात्रा का आरंभ शनिवार की सुबह से विधिवत रूप से हुआ। यात्रा का चरम काल तीन अगस्त को पंचक की समाप्ति के बाद शुरू होगा। पंचक 29 जुलाई से लग रहे हैं। पंचक के दौरान लकड़ी (कास्ट) का सामान न खरीदने की परंपरा है। मान्यता के चलते कांवड़िए इस दौरान कांवड़ खरीदने से परहेज करते हैं। इसकी वजह से इस समय यात्रा अपनी सुप्त अवस्था में रहती है।
यात्रा के सुचारु संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने पुख्ता व्यवस्था की है। करीब 50 किलोमीटर की कावड़ पटरी मार्ग को इसके लिए निर्धारित किया गया है। पूरे मार्ग पर कावड़ियों की सुरक्षा के साथ साथ उनके ठहरने, भोजन, स्वास्थ आदि की सुविधा के लिए जगह-जगह कैंप लगाए गए हैं। वहीं उनके लिए पूरे रास्ते में शौचालय भी बनाए गए हैं।
कावड़ मेला यात्रा की सुरक्षा के लिए अर्धसैनिक बलों के साथ-साथ उत्तराखंड पुलिस के करीब 7000 अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।