कांवड यात्रा- आस्था की आड़ में न हो उदंडता : रमेश ठाकुर

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केंद्र व राज्य सरकारों की सतर्कता के चलते कांवड यात्रा अमन-शांति के साथ अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी है। इस बार खुफिया एजेंसियों के पास ऐसे सूचनाएं थी कि कांवड यात्रा में आतंकी खलल डाल सकते हैं। धर्म को बदनाम करना और धर्म के आड़ में षड्यंत्र रचकर धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने जैसी घटनाएं देश में अब आम हो गई हैं। इस समय पूरे देश में कांवड़ यात्रा निकाली जा रही है। हर साल की तरह इस बार भी हिंदुस्तान के विभिन्न जगहों से कुछ कांवड़ियों द्वारा छुटपुट उत्पात मचाने की घटनाए आई हैं। लेकिन इस बार प्रशासन के पास कुछ खुफिया सूचनाएं थी कि कांवड़ियों की टोली में कुछ शरारती तत्व भी हो सकते हैं। गुप्त सूचनाओं के आधार पर पूरे देश में प्रशासन अर्लट है। यात्रा शांति के साथ आगे बढ़ रही है। अभी तक कोई बड़ी घटना की सूचना नहीं मिली है।

करीब महीने भर पहले ही कांवड़ यात्रा को लेकर खुफिया एजेंसियों ने अलर्ट जारी कर दिया था। हालांकि यात्रा अमन-शांति के साथ अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। कांवड़ यात्रा के दौरान स्थानी पुलिस, एलआईयू, एनएसजी और एटीएस नजर बनाए हुए है। हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक प्रशासन ने अपनी चौकस नजर बनाई हुई है। गलत सूचना या अफवाह के चलते कोई अनहोनी न हो इसके लिए भी व्यवस्था पूरी तरह से चाकचौबंद की हुई है। गौहत्या की अफवाह के चलते हाल के दिनों में जिस तरह माहौल खराब करने की कोशिश की गयी है, उससे भी केंद्र व राज्य सरकारें सर्तक हैं। खुदा न खास्ता कांवड़ियों में भी ऐसी कोई अफवाह फैली उसे नियंत्रित करने के लिए सरकारी अमला कमर कसे हुए है। लेकिन कुछ शरारती तत्व फिर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। दिल्ली से हरिद्वार के बीच कई ऐसी घटनाएं अभी सामने आ चुकी हैं जहां कांवड़ियों ने हुड़दंग मचाया है।

किसी भी धार्मिक जुलूस, उत्सव की अपनी मर्यादा होती है। सावन का माह कांवड़ यात्रा का होता है। क्योंकि सनातन धर्म में सावन के महीने को सबसे पवित्र माना गया है। इस माह शिव की अाराधना की जाती है। शिव में आस्था रखने वाले देश-विदेश के भक्त पूरे माह मंदिरों में शिव के जयघोष करते हैं। प्राचीन समय से ही आस्था की प्रतीक माने जाने वाली कांवड़ यात्रा निकाली जाती है। कांवड़िए मिलों दूर पैदल चलकर हिरद्वार गंगा का जल लेने जाते हैं। कांवड़ियों को कोई असुविधा न हो इसलिए लिए प्रशासन द्वारा इनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए विशेष इंतेजाम किए जाते हैं। इनके सुविधाओं के लिए जगह-जगह स्वास्थ्य कैंप लगाए जाते हैं जिनमें हिंदु-मुसि्लम सभी धर्म के लोग इनकी सेवा करते हैं। खाने-पीने के बंदोबस्त किए जाते हैं। लेकिन कुछ कांवड़िए

प्रशासनिक सुविधा का गलत इस्तेमाल करते हैं। कांवड़ियों के भेष में कुछ लोग उत्पाद मचाते हैं। राहगीरों से उलझते हैं। बिना हेलमेट के सड़कों पर बेतरतीब वाहन चलाते हैं। कोई उन्हें टोकता है तो उससे बेवजह उलझ जाते हैं। दरअसल प्रशासनिक सुविधा और विशेष सहूलियत को कांवड़िए उत्पात मचाने का लाइसेंस समझ बैठते हैं। उनका यह कृत्य पूरे सनातन धर्म को शर्मसार करता है। सड़कों पर कई बार कांवड़िए खुलेआम शराब के नशे में हंगामा करते भी देखे जाते हैं। ऐसा करके ये लोग पुण्य के जगह पाप ही कमाते हैं।

धार्मिक आस्थाओं की जहां तक बात है तो केंद्र सरकार सभी धर्माें की समान रक्षा-सुरक्षा के लिए तत्परता दिखा रही है। लेकिन कुछ अदृश्य शक्तियां उनके इस मानवीय कदम को पीछे खींचने का काम करती हैं। सभी धर्मों में एकजुटता हो, शायद ऐसा कुछ लोग नहीं चाहते। कांवड़ यात्रा हो या ताजिए का जुलूस, अमरनाथ यात्रा हो या हज यात्रा, सभी में सरकार अपनी निष्ठा दिखा रही है। कांवड़ यात्रा को भी विफल करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। कुछ शक्तियों के नापाक इरादे कांवड़ यात्रा में पेशेवर अपराधियों को शामिल करके सौहार्द को बेरंग करने की फिराक में हैं। लेकिन वे अपने मंसूबों में कतई कामयाब नहीं होने वाले। क्योंकि हर कांवड़ियों पर प्रशासन की गहरी नजर है। उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से सतर्कता बरती जा रही है। क्योंकि सूबे की सरकार को कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले की कांवड़ियों के रूप में गड़बड़ी करने वाले असामाजिक तत्वों के संबंध में गुप्त सूचनाएं मिल चुकी थी। हालांकि जो सूचनाएं मिली थी, उनमें किसी निश्चित स्थान या तारीख का जिक्र नहीं किया गया था। लेकिन एहतियातन सूबे की योगी सरकार ने अलर्ट को गंभीरता से लेते हुए संबंधित सभी जिलों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

खैर, जिस तरह के संकेत मिले थे, वैसी कोई घटना नहीं घटी। कुछ छुटपुट घटनाएं जरूर सामने आईं। रुड़की के पास गत दिनों कुछ कांवड़ियों द्वारा स्कूली लड़कियों पर केले के छिलके फेंकने और अभद्र टिप्पणी करने की घटना सामने आई थी। लेकिन स्थानीय प्रशासन की सतर्कता के चलते मामला शांत हो गया। उन कांवड़ियों की पूरी जांच पड़ताल करने के बाद हिदायत देकर आगे जाने दिया। प्रशासन ने इस बार एक और अच्छा काम किया। कांवड़ यात्रा को इस बार पूरी तरह से पॉलिथीन मुक्त रखा गया। इसके अलावा कांवड़ मार्ग पर शराब और मांस की बिक्री को पूरी तरह से बंद रखा गया है। आने-जाने वाले लोगों पर गहन निगरानी के लिए कंट्रोल रुम बनाया गया है, जिससे कांवड यात्रियों को पल-पल की जानकारी दी जा रही है। कंट्रोल रुम बनायेर जाने से कांवड़ियों के गायब होने की संभावनाएं खत्म होंगी। क्योंकि पिछले कई सालों से कई कांवड़ियों के रहस्यमय तरीके से गायब होने की घटनाएं सामने आईं थीं। इसके अलावा कांवड़ यात्रा के दौरान यातायात को जीपीआरएस से नियंत्रित किया जा रहा है। पूरे रूट को जीपीएस मैपिंग से जोड़ा गया है। प्रशासन के पुख्ता इंतजाम किसी भी अनहोनी घटना से लड़ने के लिए प्रयाप्त हैं।

कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी भी इस बार शिवभक्तों की वेशभूषा में तैनात हैं। कोई भी असमाजिक शरारती तत्व कांवड़ियों के भेष में किसी तरह से कानून व्यवस्था में खलल न डाल पाए इसके पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। उम्मीद करनी चाहिए कि हर बार भी ऐसे ही सुरक्षा इंतजाम होने चाहिए ताकि कांवड यात्रा में किसी तरह का कोई व्यवधान नहीं हो।