केदारनाथ आपदाः हेलीकाप्टर घूमा तो पता चली तबाही की हकीकत

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केदारनाथ आपदा
केदारनाथ आपदा को सात साल पूरे होने जा रहे हैं। सात साल में भी केदारनाथ आपदा के जख्म भर नहीं पाए हैं, भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के बाद केदारनाथ धाम तेजी से एक नई शक्ल लेता जा रहा हो। साल 2013 में 16/17 जून को पानी के सैलाब ने केदारनाथ धाम समेत पूरी केदार घाटी में प्रलय जैसे हालात बना दिए थे। जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ, तो देश-दुनिया का ध्यान केदारनाथ की तरफ चला गया था। केदारनाथ आपदा सरकारी सिस्टम के कमजोर सूचना तंत्र के लिए भी याद रहेगा, क्योंकि सरकार को भी आपदा की खबर चार दिन बाद मिल पाई।
– 16/17 जून 2013 की घटना आज भी पैदा कर देती है सिहरन
– चार दिन तक सरकार के पास नहीं आ पाई थी आपदा की खबर
16/17 जून, 2013 को पूरे उत्तराखंड में जोरदार बारिश हुई। नुकसान हर जगह हुआ लेकिन केदारनाथ में पूरी तस्वीर ही बदल गई है, इसका अंदाजा किसी को नहीं हुआ। चार दिन तक लगातार बारिश ही चलती रही और नुकसान से जुड़ा फीडबैक किसी के पास नहीं आ पाया। मौसम थोड़ा खुला तो तत्कालीन आपदा प्रबंधन मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत को लेकर सरकारी हेलीकाप्टर ने उड़ान भरी। उद्देश्य हवाई सर्वे करके नुकसान का जायजा लेना था। हेलीकाप्टर जब केदार घाटी की तरफ पहुंचा, तो आसमान से जमीन का हाल देखकर आपदा प्रबंधन मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत और साथ बैठे लोगों के होश उड़ गए थे। डाॅ रावत ने कई बार इस घटना का जिक्र किया है कि केदारनाथ क्षेत्र में तबाही के निशान बेहद भयानक थे। उन्होंने आकर तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा को सूचना दी और फिर राहत और बचाव का कार्य शुरू हुआ।
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के तत्कालीन अध्यक्ष/विधायक गणेश गोदियाल भी आपदा से जुड़ा वाकया सुनाते हुए सिहर जाते हैं। गोदियाल के अनुसार वह 16 जनू को अपने विधानसभा क्षेत्र श्रीनगर में थे। वहां भी बहुत नुकसान हुआ था लेकिन जब केदारनाथ में बडे़ नुकसान की जानकारी हुई तो उन्होंने सरकार से मौके पर जाने के लिए हेलीकाप्टर की मांग की। हेलीकाप्टर काफी बाद में मिला। जब वह केदारनाथ पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर बरबस आंसू निकल गए। लाशों के ढेर पडे़ हुए थे। किसी तरह साहस बटोर कर फिर राहत और बचाव कार्य शुरू कराया।
बहुगुणा ने नहीं मानी थी मोदी की पेशकश
केदारनाथ की आपदा के वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। आपदा में गुजरात के कई यात्रियों के प्रभावित होने की सूचना पर वह तुरंत उत्तराखंड पहुंच गए थे। सरकार ने उन्हें देहरादून से आगे नहीं जाने दिया था। मोदी ने तब केदारनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की पेशकश की थी। तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा ने इसे अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने ऐलान किया था कि पुनर्निर्माण का कार्य राज्य सरकार खुद के बूते करेगी।