एक तरफ केदारनाथ मंदिर में तीर्थयात्रियों का तांता लगा हुआ है जिसके चलते स्थानीय पुलिस 24 घंटे ड्यूटी कर रही है। लेकिन फिर, बच्चे तो बच्चे ही होते हैं, और लाख कोशिशों के बाद भी भीड़-भाड़ में वह अपने परिवारजनों से बिछड़ ही जाते हैं। इस परिस्थिति में उत्तराखंड की मित्र पुलिस अपनी मित्रता का किरदार बखूबी निभा रही है। और माता पिता से बिछडे़ हुए बच्चों का तब तक ध्यान रख रही है जब तक वह वापस अपने परिवार वालों से ना मिल जाऐं।
मंदिर खुलने के तीन हफ्तों के भीतर अपने प्रियजनों और अपने दोस्तों या परिवार से अलग होने के कई मामले सामने आ चुके हैं। खासकर के लंबे, घुमावदार, केदारनाथ तक पहुंचने वाले रास्तों पर।
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, स्थानीय पुलिस यहां यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही कि कोई अप्रिय घटना न हो। अपनी ड्यूटी पर इसी लगन के चलते पुलिस ने ना केवल स्थानीय निवासियों से बल्कि मंदिर आने-जाने वाले लोगों और तीर्थयात्रियों से भी प्रशंसा जीती है। ना केवल उत्तराखंड के लोग बल्कि दूर-दराज से आए श्रद्धालु पुलिस की तारीफ करने में पीछे नहीं हट रहे और सरकारी रजिस्टरों में केदारनाथ में मौजूद पुलिसवालों की तारीफें दर्ज करा रहे हैं।
टीम न्यूज़पोस्ट से बात करते हुए, एसआई बिपीन चंद्र पाठक कहते हैं, “यह सच है कि मंदिर में चलते समय बच्चें और रिश्तेदार अलग हो जा रहे हैं, लेकिन हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हम उन्हें उनके परिवार और दोस्तों से मिलवा दें। कभी-कभी, ड्यूटी के दौरान हमें रात के 2 भी बज रहे, लेकिन अंत में जब खोऐ हुए लोग फिर मिल जा रहे तो रात में की गई ड्यूटी भी खुशी का एहसास देती है।”
तीर्थयात्रा के लिए केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने के तीन हफ्तों के अंदर 1,67,448 तीर्थयात्रियों ने मंदिर में दर्शन किया है और यह संख्या दिन पर दिन बढ़ ही रही है। इतनी भीड़ के दौरान इस प्रकार लोगों से अलग होने के 6-7 मामले पंजीकृत हैं और सभी कुछ घंटों के भीतर हल हो गए हैं।
केदारनाथ पुलिस स्टेशन के एसआई बिपीन पाठक के 85 प्रभारी पुलिस कॉन्स्टेबलों की अपनी टीम हैं, जिसमें 4 महिला कॉन्स्टेबल शामिल हैं। और एक महिला वायरलेस ऑपरेटर मोबाइल नेटवर्क पर ड्यूटी कर रही है। इस टीम की मदद से पुलिस हर तरह की मदद के लिये तैयार रहती है। फिर चाहे वो सूचना की कमी हो, खराब मौसम के बारे में जानकारी सुनिश्चित कराना हो या कोई और परेशानी हो वह सभी बाधाओं से लड़ रही है ताकि दूर से आए लोगों के लिए यह एक यादगार तीर्थयात्रा साबित हो सके।