कोटाबाग का एक और लाल हुआ देश के लिये शहीद

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कालाढूंगी का एक और लाल सोमवार रात देश के लिए शहीद हो गया। रात में सूचना मिलने के बाद शहीद के परिवार व गांव मे मातम का माहौल है।

कोटाबाग के ग्राम आंवलाकोट निवासी खीमानंद बुधानी का 23 वर्षीय पुत्र मनमोहन बुधानी दो वर्ष पहले ही 20 कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हुआ था। सोमवार की रात कश्मीर में मेंढर के बालनोई सेक्टर में सीमा पार से छिपकर हुई गोलीबारी में मनमोहन शहीद हो गया। रात आर्मी हेड क्वार्टर से फोन आने के बाद से घर व गांव में सन्नाटा पसरा है।

मनमोहन अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटा था तथा उनके पिता खीमानंद बुधानी, गंगोलीहाट में ग्राम विकास अधिकारी हैं। शहीद का पर्थिव शरीर बुधवार तक यहां पहुंचने की संभावना है। शहीद मनमोहन के तीन चचेरे भाई भी सेना में हैं। सुबह से ही लोग शहीद के घर पहुंचकर सांत्वना दे रहे हैं।

शहीद मनमोहन बुधानी की चचेरी बहन का इसी महीने 24 तारीख को विवाह होना था। परिवार इन दिनों तैयारियों में जुटा था, लेकिन मनमोहन के शहीद होने की खबर ने खुशी के माहौल को मातम में बदल दिया।

कोटाबाग के पतलिया गांव निवासी धीरेंद्र साह ने भी 13 फरवरी को कश्मीर क्षेत्र में तैनाती के दौरान देश पर जान न्यौछावर कर दी थी। दो महीने के अंतराल में कोटाबाग क्षेत्र के दो जवानों ने देश पर कुर्बान होकर कोटाबाग का मान बढ़ाया है।

आजादी की लड़ाई में भी कोटाबाग के दर्जन भर लोगों ने प्रतिभाग किया था। कोटाबाग को सेनानी बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है। अब सेना में भर्ती होकर कोटाबाग के युवा देश की सीमा पर कुर्बान होकर देश भक्ति की मिसाल बन रहे हैं।