रसूखदारों ने ही गायब कर दी सरकारी सम्पत्तियां

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सरकारी जमीनों के रखवालों को अपनी सम्पत्तियों की कोई परवाह नहीं है, कोई कब्जा भी कर रहा है तो भी कार्यवाही करना तो दूर कोई झांकने तक नहीं आयेगा। जी हां, ये सुनकर शायद आप चौंक रहे होंगे मगर ये हकिकत है, क्योकि सूबे के राजस्व विभाग की निष्क्रियता इस कदर बढ़ गयी है कि भूमाफिया हों या फिर कालोनाईजर सभी सरकारी सम्पत्तियों पर कब्जा करने से नहीं चूक रहे हैं।

सरकारी जमीनों पर कब्जे का एक बडा खेल उधमसिंहनगर जनपद में खुब फल फूल रहा है और ये कब्जा करने वाले कोई और नहीं बल्कि ऊंची रसूक रखने वाले और बडे बडे कोलोनाईजर और सफेद पोश नेता भी इस खेल में शामिल है। जहां भी चकबंदी की सडकें है या सरकारी नाले या नालियां है आज सरकारी नख्शों में तो दर्ज है मगर धरातल पर उन चकबंदी की सडकों और नालों पर भू-माफियाओं ने कोलोनियां बना दी है, ये कालोनियां एेसे ही नहीं बनी, राजस्व विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से ही ये पुरा खेल हुआ है। नख्शे पास कराने से लेकर रजिस्ट्री, दाखिल खारिज सब कुछ नम्बर एक में हुआ मगर किसी ने ये जांच नहीं की कि सम्बन्धित भूमि पर कोई चक रोड भी है या फिर सरकारी नाला या नहर भी है?

 कागजों में हेराफेरी इस कदर की गयी कि आज सरकारी सम्पत्तियों को तलाशने लगें तो सिर्फ इमारतें ही नजर आयेंगी, यहीं नहीं कुछ तो एसे भी हैं जिन्होने फलों के बाग को ही रातों रात काट दिया और लाखों रुपये के स्टांप बचाने के लिए खेती की भूमि दिखाकर रजिस्ट्री तक करवा ली हैं। जिसमें रजिस्ट्री विभाग की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। कालोनाईजरों ने भी बडी चालाकी से पुरे खेल को अंजाम दिया। पहले चकरोड और नालियों की आसपास की भूमि खरीद डाली और फिर सभी जमीन के टुकडों को एक कर उसमें फ्लेट तैयार कर दिये,  यहीं नहीं कालोनियों को उत्तराखण्ड सरकार से अप्रूवड भी करा लिया, जबकि जो सरकारी नालियां और चकरोडे कालोनियों के बीच दबाई गयी इस खेल को समझ ही नहीं पाया।
वहीं राजस्व विभाग के अधिकारियों को इस बारे में पता नहीं एसा नहीं है, सालों से लोगो शिकायत करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायते कूडेदान के अलावा और कहीं नहीं जाती। वहीं इस पुरे खेल का खुलासा करने वाले ने बताया है कि काशीपुर की कुछ जिन्हित कालोनियां और ऊंची रसूक रखने वालों भूमि पर बने भवनों के बीच आने वाली चक रोड नहरें और नालियों की पुरी जानकारी उनके द्वारा निकाली गयी है जिसके आधार पर वो जल्द न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
बहरहाल सरकारी सम्पत्तियों पर कब्जे का ये खेल आज भी जारी है और इन्ही सरकारी सम्पत्तियों को बेच कई भूमाफिया और कालोनाईजर आज सत्ताधारी पार्टी में अच्छी दखल भी रखते हैं, यही वजह है कि इनके हर काम आसानी से भी हो जाते हैं और इनपर कोई हाथ भी नहीं डालता। देखना होगा कि आखिर सरकारी सम्पत्तियों की बंदरबांच एेसे ही चलती है या इन सम्पत्तियों को बचाया जाता है।