‘एक वृक्ष सौ पुत्रों के समान’ मानने की परम्परा भले ही देश में प्राचीन काल से रही है लेकिन जिले में फलदार और जड़ी-बूटी के वृक्षों के साथ ही चीड़ के जंगलों को बड़े ही नियोजित तरीके से साफ कर दिया गया। प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। वन महकमा भी सोया रहा और ठेकेदार ने बिना भूमि हस्तान्तरण के ही सरकारी सिस्टम को रौंदते हुए वीरप्पन स्टाइल में जंगल को कटवा दिया। जब इसकी भनक विभाग को लगी तो तब तक सैकड़ों पेड़ों की बलि चढ़ चुकी थी। शनिवार को डीएफओ की ओर से ठेकेदार और चिरान करने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज कराया गया पर पर्यावरण प्रेमी सवाल उठा रहे हैं कि बिना भूमि हस्तान्तरण के चार माह से ठेकेदार सड़क और पेड़ों की कटिंग करने में लगा था, तो विभाग कहां सोया हुआ था।
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यह मामला प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सनबैण्ड-बज्यूण मोटरमार्ग का है, जिसकी भूमि हस्तान्तरण होने से पहले ही ठेकेदार ने चार किलोमीटर सड़क काटने के साथ ही पेड़ों का कटान और चिरान भी करवा दिया। सनबैण्ड-बज्यूण 20 किलोमीटर मोटरमार्ग पर अवैध तरीके से पेड़ों का कटान किया गया है। सड़क कटिंग के मलबे को जंगलों में डालकर पेड़ों को नष्ट किया जा रहा है। मार्ग निर्माण में कोई डंपिंग जोन भी नहीं बनाया गया है। सड़क कटिंग में विस्फोटकों का उपयोग किया जा रहा है। इससे वन्य प्राणियों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। मलबे को जंगलों में फेंके जाने से जड़ी-बूटी को भी नुकसान पहुंच रहा है। कटिंग से फलदार आम, आंवला सहित बांज, असीन, सांधण के वृक्ष समाप्त हो गए हैं।
वन पंचायत सरपंच दशरथ सिंह बुटोला मामले को लेकर कई बार महकमे और सरकार के पास गए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला मीडिया की सुर्खी बना तो वन महकमे की नींद खुली और पीएमजीएसवाई के अधिकारियों ने मौके का मुआयना किया। तब पता चला कि ठेकेदार ने वन और नाप भूमि को बिना हस्तान्तरण हुए ही काट दिया और सड़क कटिंग में हरभरे पेड़ों के साथ ही जंगल को भी काफी नुकसान पहुंचाया है। चीड़ के जंगलों को काटकर ठेकेदार ने लकड़ियों का चिरान करवा दिया है।
इस पूरे मामले में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि पीएमजीएसवाई के तहत स्वीकृत सन बैंड-बज्यूंण मोटरमार्ग पर अवैध कटान की शिकायत मिलने पर डीएफओ वैभव कुमार ने टीम के साथ निरीक्षण किया है। निरीक्षण में पता चला है कि बिना भूमि हस्तांतरण के ठेकेदार ने सड़क काट दी है और पेड़ों का कटान भी किया है। ठेकेदार पर मुकदमा दर्ज किया गया है और कार्य को रोक दिया गया है।