(ऋषिकेश) श्रावण मास की कांवड़ यात्रा में नीलकंठ से लेकर स्वर्गाश्रम मुनिकीरेती ऋषिकेश सभी जगह का इलाका गुलजार है। मेले में इस वर्ष लक्ष्मण झूला क्षेत्र में सन्नाटा पसरा है। इस खामोशी के लिए लक्ष्मण झूला पुल को कारण ठहराया जा रहा है। प्रशासन ने पुल की जर्जर हालत का वास्ता देकर इस पुल को नीलकंठ यात्रा के नक्शे से बाहर रखा है।
जनपद पौड़ी के यमकेश्वर प्रखंड में मणि कूट पर्वत की तलहटी पर पौराणिक नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है। पौराणिक मान्यता है कि इसी स्थान पर समुंद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को पीने के बाद उसकी उष्णता को शांत करने के लिए भगवान शिव ने साठ वर्षों तक यहां तप किया था और भगवान शिव नीलकंठ कहलाए। पुराने समय से ही सावन के महीने में नीलकंठ महादेव मंदिर में देश के कई प्रांतों से शिव भक्त जलाभिषेक के लिए आते हैं।
हालांकि, इसके अतिरिक्त पूरे वर्ष यहां श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है। शासन के स्तर पर हरिद्वार क्षेत्र में कांवड़ मेले को अधिसूचित किया गया है, लेकिन नीलकंठ से जुड़े क्षेत्र में यह मेला नोटिफाइड नहीं हो पाया है। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष नीलकंठ महादेव मंदिर में करीब 55 लाख श्रद्धालुओं ने श्रावण मास में जलाभिषेक किया था। नीलकंठ मेला क्षेत्र में मंदिर परिसर सहित लक्ष्मण झूला, स्वर्गाश्रम, गरुड़ चट्टी, तपोवन, मुनिकीरेती, ढाल वाला, ऋषिकेश क्षेत्र शामिल रहा है।
प्रशासन पिछले वर्ष तक नीलकंठ जाने के लिए वन वे व्यवस्था के तहत लक्ष्मण झूला से कांवड़ियों की मंदिर के लिए रवानगी करता था और राम झूला पुल से वापसी होती थी। लोक निर्माण विभाग नरेंद्र नगर खंड ने तकनीकी विशेषज्ञों की रिपोर्ट का हवाला देकर 10 जुलाई को अचानक इस बात का खुलासा किया था कि लक्ष्मण झूला पुल जर्जर हो चुका है और इस पर आवागमन खतरे से खाली नहीं है।
शासन ने भी रिपोर्ट को आधार मानते हुए आनन-फानन में 12 जुलाई को पुल को पूर्ण रूप से बंद करने के आदेश जारी कर दिए। स्थानीय स्तर पर इस आदेश का बड़ा विरोध हुआ। जिस पर पुल पर विभाग ने दोनों और तीन फीट का गेट छोड़कर शेष हिस्से में लोहे की प्लेट बेल्ट कर दी। पूरे देश में इस बात का संदेश चला गया कि लक्ष्मण झूला पुल हमेशा के लिए बंद हो गया है। इसी के साथ बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं ने लक्ष्मण झूला क्षेत्र से किनारा कर लिया है। कांवड़ मेला संचालन समिति ने अपने ट्रैफिक प्लान से लक्ष्मण झूला क्षेत्र को बाहर रखा है।
शिवानंद गेट से आगे कोई भी कांवड़ियां लक्ष्मण झूला की ओर नहीं बढ़ पाएगा। यही स्थिति स्वर्गाश्रम से लक्ष्मण झूला के बीच रखी गई है। विभाग की रिपोर्ट पर शासन के इस फरमान का असर लक्ष्मण झूला के सैकड़ों व्यापारियों पर प्रतिकूल रूप से देखा जा रहा है। यहां जब तक पुल पूर्ण रूप से खुला था तो प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते थे, लेकिन अब श्रद्धालुओं ने इस क्षेत्र से किनारा कर लिया है। हालत यह है कि बाजार तो खुला है मगर खरीदार नहीं है। सड़कें वीरान हैं, विरान सड़कों के सन्नाटे को चीरते हुए टैक्सी में जरूर यहां से निकलती हैं। इससे पूर्व आए दिन यहां पर जाम लगता था, लेकिन अब यहां टैक्सी बिना किसी रुकावट के फर्राटा भर रही है। यहां के व्यापारियों के सामने अब रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कुल मिलाकर कांवड़ मेले का लाभ इस क्षेत्र को नहीं मिल पा रहा है। एक तरह से यह पूरा इलाका आर्थिक नजरबंदी की की सजा भुगतने को मजबूर है।