कलाः बेजान लकड़ियों को बना दिया सुरों की दुनिया का हिस्सा

ऋषिकेश एक ऐसा शहर जिसकी कई कहानियां है जहां देश विदेश का जोगी आया उसका मन इस शहर ने अपनी ओर मोड़ लिया सात समंदर पार से आने वाले विदेशी सैलानी इसी शहर के होकर रह जाते हैं उनके साथ आई हुई संस्कृति को यह शहर अच्छे से परख कर उसे नए ढंग से अपने में ढाल लेता है आज हम आपको मिलवाते हैं ऋषिकेश के कैसे कलाकार से जो बेजान लकड़ियों में जान फूंककर उन्हें संगीत की दुनिया में लोकप्रिय कर रहा है यह है ऋषिकेश का मुकेश धीमान जो पैसे से बढ़ई का काम करता था लेकिन एक वाद्ययंत्र ने उसकी दुनिया ही बदल डाली और मुकेश के हाथों से बना वाद्य यंत्र ‘डिजरी डू’ पूरे विश्व में अपनी धुन मचाने लगा भले ही डिजनी डू को नई शक्ल देने वाले मुकेश धीमान अपने ही शहर में गुमनाम हों, मगर दुनिया के कई देशों में उनकी छवि किसी स्टार से कम नहीं है। मुकेश का ईजाद किया वाद्य यंत्र ‘डिजरी डू’ आज दुनिया के दर्जनों मुल्कों में गूंज रहा है। ऋषिकेश के शीशमझाड़ी क्षेत्र में उनकी छोटी सी वर्क शॉप हैजिसका नाम है ‘जंगल वाइब्स’जो विदेशियों के लिए किसी दर्शनीय स्थल से कम नहीं है।

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डिजरी डू वाद्य यंत्रों की शृंखला में एक बेजोड़ वाद्य है और इससे भी दिलचस्प है इसे ईजाद करने वाले साधक मुकेश धीमान की कहानी। पारिवारिक तंगहाली ने मुकेश के हाथों में तब छेनी-हथौड़ा थमा दिया जब उसके उम्र स्कूल जाने की थी। मुकेश ने महज चार साल की उम्र में लकड़ियों को तराशना शुरू कर दिया था।

वुड हट का फैशन तब विदेशी पर्यटकों की पसंद बनने लगा था, लिहाजा लकड़ी के कारीगरों की मांग बढ़ने लगी। इसी दौर में मुकेश को भी वुड हट बनाने का मौका मिला और उन्होंने गंगा तट पर एक शानदार वुड हट तैयार की। उनके काम से आस्ट्रेलिया निवासी ऑलिस्टर बुलट बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने मुकेश को बांस से डिजरी डू बनाने की जानकारी दी। मुकेश ने उस बांस के टुकड़े में ऐसी जान फूंकी कि ऑलिस्टर उसे मुकेश की कारीगरी की निशानी मान अपने साथ ले गए।

अब मुकेश को भी डिजरी डू बनाने में मजा आने लगा। उन्होंने बांस का ही एक डिजरी डू स्वयं के लिए बनाया और खाली वक्त में उसे बजाने लगे। धीरे-धीरे रेलवे रोड स्थित दुकान पर इस वाद्ययंत्र को सुनने के लिए भीड़ जुटने लगी। एसबीआइ की शाखा पास होने के कारण वहां करेंसी बदलने आने वाले पर्यटकों का ध्यान भी गया। फिर क्या था यह वाद्ययंत्र विदेशियों की खास पसंद बन गया। कुछ ही वर्षों में डिजरी डू की विदेशों में इतनी मांग बढ़ गई कि मुकेश को डिमांड पूरी करने के लिए रात-दिन कि मेहनत करनी पड़ती है अंतर्राष्ट्रीय पटल पर ऋषिकेश के साथ साथ मुकेश धीमान का नाम भी चमक रहा है