उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव 2011 की जनसंख्या के आधार पर ही हाेंगे। नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण का परीक्षण कर उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन विधेयक के लिए गठित प्रवर समिति ने यह निर्णय लिए हैं।
विधानसभा में शनिवार काे हुई प्रवर समिति की बैठक में नगर निगम संबंधी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। निर्णय में यह है कि वर्तमान निकाय चुनाव भी जनसंख्या जनगणना 2011 के आधार पर किए जाएंगे। समिति के सभापति शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि प्रवर समिति का कार्यकाल आठ अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। प्रवर समिति का आग्रह है कि इस कार्यकाल को और बढ़ाया जाए, ताकि नगर निकाय चुनाव के संदर्भ में और महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सके। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी तथा संबंधित लोगों से आग्रह किया जाएगा। बैठक में समिति के सदस्य विनोद चमोली, मुन्ना सिंह चौहान, शहजाद, खजानदास, ममता राकेश, हरीश धामी उपस्थित थे।
दरअसल, राज्य में नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर 2023 में समाप्त हो गया था। उसके बाद ही सरकार ने निकायों को प्रशासकों के हवाले कर दिया है। प्रदेश के नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण के लिए राज्य सरकार ने गैरसैंण में हुए मानसून सत्र के दौरान उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन विधेयक पेश किया था, लेकिन ओबीसी आरक्षण के सर्वे पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने आपत्ति जताई थी। भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान, विनोद चमोली ने राज्य की डेमोग्राफी के साथ सर्वे पर सवाल खड़े कर विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग उठाई थी। विधानसभा अध्यक्ष ने इसे स्वीकार करते हुए विधेयक प्रवर समिति को भेज दिया था।