लॉक डाउनः बड़ोली के बुजुर्गों ने तैयार किया पैदल मार्ग

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चंपावत,  लॉक डाउन के दौरान बडोली के बुजुर्गों ने दम दिखाया है। 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों ने 200 मीटर पैदल मार्ग का निर्माण किया है। बुजुर्गों का हौसला देख पंचायत प्रतिनिधि भी प्रेरित हुए हैं। अब शेष मार्ग को मनरेगा के तहत बनाने का निर्णय लिया गया है। निर्माण कार्य में गांव लौटे प्रवासी युवकों को भी रोजगार दिया जाएगा।
बडोली गांव, चंपावत-टनकपुर नेशनल हाइवे पर स्वाला से करीब छह किलोमीटर पैदल दूरी पर है। करीब पांच माह पूर्व गांव के लिए पीएमजीएसवाई के तहत सड़क कटिंग का कार्य शुरू हुआ था।कटिंग के चलते गांव को जाने वाला पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया था। इससे ग्रामीणों को आवाजाही में दिक्कत हो रही थी। ग्रामीणों ने कई बार ठेकेदार से गुहार लगाई पर उसके कान में जूं तक नहीं रेंगी। लॉक डाउन होने के बाद ग्रामीणों का बाजार आना बंद हो गया।
इस बीच बुजुर्ग ग्रामीण रामदत्त, लालमणी, प्रकाश चंद्र, हरीश चंद्र, तिलोमणी, जय दत्त, चूड़ामणी और डिकरदेव ने पैदल मार्ग के मरम्मत का कार्य शुरू किया। बुजुर्गों के हौसले और जज्बे को देखते हुए ग्राम प्रधान रीता थ्वाल और अन्य ग्रामीणों के बीच हुई वार्ता के बाद शेष पैदल मार्ग को मनरेगा से बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। बडोली को जोड़ने वाले छह किलोमीटर पैदल रास्ते का निर्माण अब मनरेगा से किया जाएगा। बडोली में वर्तमान में आठ प्रवासी आए हैं। इनके एकांतवास की अवधि पूरी हो चुकी है। मनरेगा से बनने वाले इस मार्ग से प्रवासियों और अन्य ग्रामीणों को रोजगार भी मिल सकेगा।
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता गुणानंद थ्वाल और मनरेगा के अवर अभियंता रोहित वर्मा ने बताया है कि 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों ने बडोली गांव के 200 मीटर पैदल रास्ते की मरम्मत की है। ग्राम प्रधान और ग्रामीणों के बीच हुई वार्ता के बाद शेष मार्ग को मनरेगा से बनाया जाएगा।  थ्वाल ने बताया कि गांव के 65 वर्षीय राम दत्त पहले अकेले ही रास्ते को ठीक करने में जुट गए। उन्हें देखकर गांव के ही 67 साल के एक और बुजुर्ग लालमणी भी साथ आए गए।  इसके बाद कारवां जुट गया और रास्ता बनकर तैयार हो गया।