कोविड 19 के खतरे से बचाव के लिए लागू लॉक डाउन में जो लोग अपने-अपने घरों में कैद होकर ऊब गये हैं, उनके लिए पृथ्वी दिवस पर प्रेरणादायी खबर है। ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्र विष्णु विहार कालोनी निवासी पर्यावरणविद् विनोद जुगलान ने कुछ दिन की मेहनत और समय के सदुपयोग से बुधवार को अपने घर के आंगन में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना डाला है।
-किया समय का सदुपयोग, पृथ्वी दिवस पर आंगन में तैयार किया वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के लिए इस कूप को खोदने-बनाने में लगभग तीन सप्ताह का समय लगा। सुखद अनुभव यह रहा कि यह कार्य नियमों के अनुपालन करते हुए पृथ्वी दिवस से एक दिन पूर्व ही पूरा हो गया। यद्यपि इसकी कार्ययोजना एक माह पहले ही बन चुकी थी किन्तु लॉक डाउन की वजह से कार्य बंद करना पड़ा। वह कहते हैं कइ इस बीच एक दिन वह स्वयं ही फावड़ा लेकर गड्ढा खोदने में डट गए। ट्रैक्टर ट्राली नहीं चलने के कारण गड्ढे से निकली मिट्टी को हटाने का संकट सामने आ गया। मगर उसका भी निदान निकल आया। सारी मिट्टी को आवास के गोसदन में डालकर कुएं को कुछ दिन के लिए ढक दिया।
लॉक डाउन 2.0 में ढील की सूचना मिलने पर पास में रहने वाले एक मजदूर की सहायता से गड्ढे को पक्का कर दिया गया। अब घर की रसोई के पानी और वर्षा जल को इसमें संरक्षित किया जाएगा। पर्यावरणविद् जुगलान बताते हैं कि लॉक डाउन से हो सकता है कि आर्थिक परिदृश्य धुंधला हो पर इससे प्रकृति का संरक्षण हुआ है।नदियां पहले से बहुत साफ हुई हैं। वन्यजीवों की आमद भी खूब दिखाई दे रही है। यह प्रकृति के लिए सकारात्मक संदेश है।
उन्होंने कहा कि हमें इसकी निरन्तरता और देश की समृद्धि के लिए मिलजुलकर प्रयास करना होगा।इसके लिए दृढ़ संकल्प लेने की आवश्यकता है कि हम हवा, पानी, स्वच्छता, हरियाली, वन्यजीवों, भोजन एवं बिजली का संरक्षण करें, जिससे हमारा जीवन स्वस्थ रहे और हमारी आने वाली नस्लों को खुली हवा मिल सके।उन्होंने कहा कि कोविड 19 की समाप्ति के बाद देश में स्वैछिक रूप से साल में एक बार कम्प्लीट लॉक डाउन होना चाहिए। इससे प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण हो सकेगा। उल्लेखनीय है कि कि वर्ष 2018 में तीन जुगलान बंधुओं द्वारा यमकेश्वर प्रखण्ड स्थित अपने पैतृक गांव भेलडूंग में विश्व जल दिवस पर दो किलोमीटर दूर से बिजली के पाइप जोड़कर पेयजल की व्यवस्था कर सुर्खियां बन चुके हैं।