लॉकडाउन से गंगा जल की गुणवत्ता में सुधार

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    गंगाजल

    कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण गंगाजल की गुणवत्ता में काफी सुधार आया है। यह कहना है वरिष्ठ समाजसेवी और पेशे से शिक्षक डॉ. शम्भू प्रसाद नौटियाल का। लॉकडाउन के दौरान अपने संसाधनों के बल पर गंगोत्री से लेकर ऋषिकेश तक गंगाजल की स्वच्छता पर शोध करने वाले डॉ. नौटियाल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान गंगाजल की गुणवत्ता में काफी सुधार देखने को मिला है और गंगाजल जहां पूर्णतः नहाने योग्य है वहीं सामान्य उपचार के बाद पीने के लिए भी उपयुक्त है।

    डॉ. नौटियाल ने गंगोत्री, उत्तरकाशी और ऋषिकेश से गंगाजल के सैंपल संग्रह कर उसका परीक्षण बीआईएस-10500ः3025 के अनुरूप किया। उन्होंने बताया कि जल के सैंपल समान्य उपचार के बाद पीने तथा नहाने योग्य पाए गए। गंगोत्री और उत्तरकाशी से गंगाजल के सैंपल तुलनात्मक रूप से ऋषिकेश से बेहतर मिले हैं। परिणाम बतातें है कि लॉकडाउन के कारण पर्यटकों की कम आवाजाही से गंगाजल की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिला है वहीं दूसरे तरफ ऋषिकेश में मानवीय हस्तक्षेप ज्यादा होने से जल की गुणवत्ता कुछ प्रभावित जरूर हुई है।

    गंगोत्री में जल की पारदर्शिता 23 सेमी. हाइड्रोजन आयन सान्द्रण (पीएच) 7.4, घुलित आक्सीजन 9 मिलीग्राम प्रतिलीटर, टर्बीडिटी 6 एनटीयू, टीडीएस 47 मिलीग्राम प्रतिलीटर, कुल क्षारीयता 10 पीपीएम, कुल कठोरता 47.59 मिलीग्राम प्रतिलीटर, क्लोराइड 1.4 मिलीग्राम प्रतिलीटर, सोडियम 4.5 मिलीग्राम प्रतिलीटर, सल्फेट 11 मिलीग्राम प्रतिलीटर, पोटेशियम 1.2 मिलीग्राम प्रतिलीटर पाई गई।

    उत्तरकाशी में पारदर्शिता 25 सेमी. हाइड्रोजन आयन सान्द्रण (पीएच) 6.8, घुलित आक्सीजन 6.9 मिलिग्राम प्रतिलीटर, टर्बीडिटी 5.5 एनटीयू, टीडीएस 54 मिलीग्राम प्रतिलीटर, कुल क्षारीयता 12 पीपीएम, कुल कठोरता 65.7 मिलीग्राम प्रतिलीटर, क्लोराइड 3.5 मिलीग्राम प्रतिलीटर, सोडियम 6.8 मिलीग्राम प्रतिलीटर, सल्फेट 14 मिलीग्राम प्रतिलीटर, पोटेशियम 1.6 मिलीग्राम प्रतिलीटर रिपोर्ट की गई।

    ऋषिकेश से गंगाजल के नमूने में पारदर्शिता 20 सेमी. हाइड्रोजन आयन सान्द्रण (पीएच) 7.6, घुलित आक्सीजन 7 मिलीग्राम प्रतिलीटर, टर्बीडिटी 6.9 एनटीयू, टीडीएस 72 मिलीग्राम प्रतिलीटर, कुल क्षारीयता 14 पीपीएम, कुल कठोरता 71 मिलीग्राम प्रतिलीटर, क्लोराइड 4.5 मिलीग्राम प्रतिलीटर, सोडियम 8.5 मिलीग्राम प्रतिलीटर, सल्फेट 16 मिलीग्राम प्रतिलीटर, पोटेशियम 2.8 मिलीग्राम प्रतिलीटर दर्ज की गई।

    डॉ. नौटियाल ने बताया कि जैसे-जैसे मानवीय हस्तक्षेप बढ़ रहा है, गंगाजल की गुणवत्ता में ह्रास देखने को मिल रहे हैं। इसलिए जल गुणवत्ता पर यह शोध कार्य निरंतर जारी रहेगा और समय-समय पर जल साक्षरता पर गंगा किनारे रहने वाले लोगों और विद्यार्थियों को सचेत किया जाएगा।