हरिद्वार में बड़े पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती की जाती है लेकिन लॉकडाउन के बाद से किसान मंडी और बाजार में स्ट्रॉबेरी नहीं बेच पा रहे हैं। इस कारण किसानों की लाखों रुपये की स्ट्रॉबेरी की फसल बर्बाद हो रही है। किसान स्ट्रॉबेरी को तोड़कर कूड़े में डालने को मजबूर हैं। किसानों ने सरकार से मांग की है कि उनकी स्ट्रॉबेरी की फसल बर्बाद होने पर उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए। हालांकि हरिद्वार के जिलाधिकारी किसानों की फसल बर्बाद होने पर उनकी सहायता करने की बात कह रहे हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों पर मानों प्राकृतिक आपदा की मार पड़ रही है। अभी कुछ समय पहले ओलावृष्टि की वजह से स्ट्रॉबेरी की खेती बर्बाद हो गई थी। इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ था। अब लॉक डाउन की वजह से स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान काफी मायूस नजर आ रहे हैं। क्योंकि इन किसानों की स्ट्रॉबेरी ना तो मंडी में जा पा रही है और ना ही बाजारों में बिक रही है। किसान राजबीर, प्रभुदयाल का कहना है कि हमारी फसल पहले ओलावृष्टि की वजह से बर्बाद हो गई थी और अब जब दोबारा फसल सही हुई तो लॉक डाउन होने से उपज बेच नहीं पा रहे हैं। स्ट्रॉबेरी को हमें तोड़ कर कूड़े में डालना पड़ रहा है। अगर हम स्ट्रॉबेरी को नहीं तोड़ेंगे तो हमारा प्लांट भी खराब हो जाएगा। इससे हमें काफी नुकसान हो रहा है।
किसानों का कहना है कि फसल बर्बाद होने पर उन्हें सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाना चाहिए। हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि किसानों को फसल बेचने के लिए छूट दी गई है, अगर किसानों को कुछ परेशानी हो रही है तो विभागीय अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। किसानों द्वारा अपनी फसल बर्बाद होने पर मुआवजे की मांग को लेकर जिलाधिकारी का कहना है कि जिन किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं, वह कृषि विभाग को अपनी शिकायत दर्ज कराएं। फसलों का आकलन किया जाएगा और मदद की जाएगी। इसके साथ ही किसानों की फसलों को मार्केट में भी लाने की व्यवस्था की जा रही है।
हरिद्वार में स्ट्रॉबेरी की खेती कई किसान करते हैं और हर किसान तकरीबन 8 से 10 बीघा में स्ट्रॉबेरी की खेती करता है। पिछले साल भी स्ट्रॉबेरी की खेती में किसानों को काफी नुकसान हुआ था और अब किसानों को आस थी कि इस साल तो स्ट्रॉबेरी अच्छे दामों पर मार्केट में बिक पाएगी लेकिन पहले ओलावृष्टि और अब लॉक डाउन की वजह से किसानों की खेती बर्बाद हो रही है।