देहरादून के शिक्षित छात्रों के संगठन, मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिख कर रिस्पना, बिंदाल, सुसवा नदियों के पुनर्जीवन पर ठोस कदम उठाने की मांग की है। छात्रों का कहना है कि केवल नदी तल की दो चार दिन सफाई करने से नदियों की स्थिति नहीं सुधरने वाली, जो अतिक्रमण और प्रदूषण के चलते मरणासन पर पहुँच गयी है। इसलिए उनके पुनर्जीवन पर ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि मैड का एक प्रतिनिधिमंडल 11 अप्रैल को मुख्यमंत्री से उनके आवास में मिला था और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (रुड़की) द्वारा 1 करोड़ में पुनर्जीवन की शुरुआत की बात करने वाली रिपोर्ट संस्था ने मुख्यमंत्री से सांझा की थी, जिसपर मुख्यमंत्री भी उत्सुक दिखे थे।
मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी ने मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को फिर पत्र लिखकर यह सुझाव दिया है कि राज्य सरकार दून की नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे कोष से केंद्र से आर्थिक सहायता लें। मैड का तर्क केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय के उस पत्र से आता है जो पिछले वर्ष अप्रैल में लिखा गया था, जब मैड ने तत्कालीन कीन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को प्रस्तुति दी थी, जिसमें दून की नदियों का गंगा की सेहत पर असर कैसे पड़ता है समझाया गया था। केन्द्र ने तब रिस्पना, बिंदाल को गंगा रिवर बेसिन का भाग घोषित किया था। इसलिए मैड की मांग है कि इसके लिए केंद्र आर्थिक साहयता देने हेतु आगे आ सकता है।