25 साल के अरविंद निगम, मध्यप्रदेश के सिधी जिले के रहने वाले हैं। लेकिन अपनी मेहनत और लगन से इन्होने उत्तराखंड में पलायन को चुनौती दे दी है। अरविंद ने आज बागेश्वर जिले के दूरस्थ गांव रेवती घाटी में लोगों की सोच को बदल दी है।
एक तरफ जहां पलायन राज्य में एक चुनावी मुद्दा भर बनकर रह गया है वहीं अरविंद ने अपनी जड़ों यानि की अपने घर को छोड़ दिया और उत्तराखंड की पहाड़ियों में अपना घर बनाया और यहां होने वाली पारंपरिक खेती में मानो चमत्कार ही कर दिया।
अरविंद कहते हैं कि, “मैंने पहाड़ को चुना क्योंकि मुझे पहाड़ और वहां के लोगों के बीच रहना पसंद है। यहां खेती एक कठिन काम है और इसलिए मैने अपने बीएससी की पढ़ाई और पीएसआई ट्रेनिंग के इस्तेमाल से खेती के क्षेत्र में पहाड़ी लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की शुरुआत की।”
पिछले दो सालों से, अरविंद ने यहां गांव के लोगों को उत्पादन बढ़ाने के लिए अल्टरनेट फार्मिंग का इस्तेमाल करने के लिये मनाने के लिये कड़ी मेहनत की। यानि की नियमित अंतराल पर एक सीधी रेखा में गेहूं, सब्जियां, मकई, धान के पौधे की को बोने की विधि फसल की उपज को बढ़ाऐगी। इस एक विचार से,बरसात के दो मौसम में फल पैदा हुई है। आज यह तकनीक 8 गांवों में जैसे कि बेदथ, शामा, शेलिसमा, सीरी, उलानिधर, कफ्लानी, लीती और बडी पनीयाल गांवों के 600 परिवारों में अपनाई गई है।
बादेथ में बर्माला गांव की 28 साल की बिमला देवी अरविंद की तकनीक के बारे में बताती हैं कि, “शुरुआत में हम वास्तव में खेती की इस नई तकनीक के बारे में आश्वस्त नहीं थे। अरविंद भाई ने कड़ी मेहनत की और हमें विश्वास दिलाया कि एक पंक्ति में पौधे लगाने के लिए जमीन के एक छोटे से टुकड़े की जरुरत है और आज हमारी फसल का उत्पादन यूरिया का उपयोग किए बिना 5-7 किलो तक बढ़ गया है। “
अरविंद महिला सहायता समूह के खाष्ठी कोरंगा और रेवती घाटी महासंघ के अध्यक्ष भागवत सिंह कोरंगा के शुक्रगुजार है कि उन्होंने खुले हाथों के साथ उनके इस अनूठे विचार का स्वागत किया जो इस क्षेत्र में खेती में क्रांति लेकर आया है।
“ना केवल वे अच्छी तरह से खाने के लिए पर्याप्त उत्पादन करते हैं, बल्कि 90% अतिरिक्त फसल को बागेश्वर के मुख्य बाजार में भेजा जाता है जहां यह शुद्ध आर्गेनिक फसल कुछ ही घंटों में बिक जाता है और इससे महिलाओं के समुदाय को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद मिलती है।”
अपने शिष्य अरविंद के बारे में बात करते हुए पीएसआई में उनके गुरू रहे रवि चोपड़ा बताते हैं कि “अरविंद ने बड़ा कद हासिल किया है। अरविंद ने बड़ी मेहनत से गांव के लोगों को ग्रम स्वराज में सम्मिलित कर खेती की एक नई प्रणाली की सकुशल शुरुआत की है।”