भारत-नेपाल की सीमा को चाक चैबंद बनाने के लिए आयोजित की गई बाउंड्री वर्किंग ग्रुप की बैठक संपन्न हो गई। बैठक में पांच साल का लक्ष्य तैयार करते हुए इस अवधि में सीमा को चाक चैबंद बनाने का निर्णय लिया गया। ग्रुप की अगली बैठक वर्ष 2018 में नेपाल में आयोजित की जाएगी।
बुधवार को संपन्न हुई तीन दिवसीय बैठक में भारत-नेपाल सीमा पर नदी क्षेत्रों में 1222 पिलर के निर्माण पर सहमति बनाई गई। नदी क्षेत्रों में ये पिलर बाढ़ से गायब हो गए हैं। इनके निर्माण के साथ ही बाढ़ से बचाव के लिए इनका विशेष डिजाइन भी तैयार किया गया है और अन्य क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त व गायब हो चुके सीमा पिलर पर भी काम किया जाएगा।
बैठक में सीमा पर नो मैन्स लैंड में जगह-जगह पसरे अतिक्रमण को लेकर भी विशेष चर्चा की गई। तय किया गया कि सर्वे ऑफिसियल कमेटी (एसओसी) व फील्ड सर्वे टीम (एफएसटी) नए सिरे से अतिक्रमण चिन्हित करेगी और फिर उस पर दोनों देश कार्रवाई करेंगे। सीमा पर मौजूदा स्थिति यह है कि इसका 12 हेक्टेयर से अधिक भाग पूरी तरह गायब है।
इसके अलावा भी नो मैन्स लैंड पर पक्के अतिक्रमण तक खड़े हो गए हैं। इनके चिन्हीकरण व हटाने की पूरी जिम्मेदारी एसओसी व एफएसटी को दी गई है। ग्रुप की बैठक में भारत की तरफ से नो मैन्स लैंड क्षेत्र में ड्रोन से निगरानी करने का प्रस्ताव भी रखा गया। इस पर सहमति तो मिल गई, लेकिन उड़ान की ऊंचाई व अन्य बातों को लेकर नेपाली दल ने अपनी सरकार के साथ विचार-विमर्श करने के बाद स्वीकृति देने की बात कही। तीन दिवसीय बैठक के इन तमाम कार्यवृत्त पर भारत के महासर्वेक्षक वीपी श्रीवास्तव व सर्वे ऑफ नेपाल के महानिदेशक गणेश प्रसाद भट्टा ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए।