गरुड़छाड़ मेले के गवाह बने हजारों श्रद्धालु

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गोपेश्वर,  चमोली जिले के जोशीमठ ब्लाॅक के बड़ागांव के पंचायत चौक में रविवार को गरुड़छाड़ मेले में हजारों की संख्या में नि:संतान दंपति पहुंचे। गांव के पांच सौ मीटर ऊपर मथकोट में एक बड़े सुराई के पेड़ से गरुड़ पर सवार भगवान विष्णु की प्रतिमा को रस्सी के सहारे नीचे उतारा गया। प्रतिमा के पहुंचते ही श्रद्धालुओं के जयकारे से मंदिर प्रांगण गुंजायमान हो गया। मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रतिमा को सबसे पहले छूता या पकड़ता है, उसे संतान की प्राप्ति होती है।

परंपरा के अनुसार यह मेला बड़ागांव के पंचायत चौक में हर दो वर्ष बाद लगता है। क्रमश: एक वर्ष हस्तोला और दूसरे वर्ष गरुड़छाड़ मेला लगता है। मेले के मद्देनजर गांव में पूरी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। इस बार भगवान गरुड़ एवं विष्णु को छूने-पकड़ने के लिए पंचायत ने रुपेश चैहान को निर्धारित किया था। इसके साथ अगले तीन दिनों तक गांव में विशेष पूज- अर्चना, भजन, कीर्तन और भोज का कार्यक्रम चलेगा।

परंपरा के अनुसार नि:संतान दम्पति प्रतिमा को छूने के लिए गांव की पंचायत में प्राथर्ना पत्र देता है। पंच के माध्यम से उसका चयन किया जाता है। चयनित व्यक्ति सबसे पहले इस प्रतिमा को छूता और पकड़ता है। गांव के हरीश भंडारी, राकेश सगोई, मनवर राणा, विक्रम सिंह, ब्रिजेश सिंह, कुशल सिंह राणा और मातबर भंडारी ने बताया कि उन लोगों को भगवान गरुड़ और विष्णु की प्रतिमा को पकड़ने से संतान की प्राप्ति हुई है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

बैशाखी के दिन से पंचायत चौक में मुखौटा नृत्य होता है। मेले के दिन राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान विभिन्न तालों पर नृत्य करते हैं। इसके अलावा भगवान सूर्य, नारद, शिव, नृसिंह, नंदा, सहित अन्य 18 मुखौटा 18 ताल ढोल के विभिन्न तालों पर नाचते हैं।