भले ही प्रदेश सरकार ने इस बात को स्वीकार नहीं किया कि माओवादी गतिविधियां जारी हैं पर अब पुलिस प्रशासन मानने लगा है कि उत्तराखंड में माओवादी सक्रिय हैं। इसका प्रमाण नैनीताल के धारी ब्लाक विकास खंड में सरकारी वाहन में आगजनी व झंडे पोस्टर बैनर मिलने से हुआ है।
इतना ही नहीं नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जन्मेजय खंडूरी ने आधा दर्जन से अधिक लोगों को चिन्हित भी कर लिया है जो इन गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं। सूत्रों की मानें तो इस घटना में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के उत्तराखंड क्षेत्रीय समिति के सचिव विजय पनेरू का नाम प्रमुख है। जिनकी खोज इन दिनों चल रही है। इनके लिए पुलिस की चार टीमें अल्मोड़ा, नैनीताल सहित कई जनपदों में अभियान चला रही हैं। मूल रूप से अल्मोड़ा के सोमेश्वर निवासी विजय पनेरू 2007 में भी ऐसी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए थे और उन्हें दोषी माना गया था। यही कारण है कि प्रशासन ने नैनीताल जिले के धारी ब्लॉक में माओवादियों की गतिविधियों के बाद चंपावत जिले में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
सुरक्षा एजेसियों ने तराई व भाबर के जंगलों में गहन कांबिंग अभियान चलाया और सीमा पर गतिविधियों पर नजर रखी ताकि आरोपी को जल्द ही हिरासत में लिया जा सके। सूत्रों की मानें तो अन्य माओवादियों की तलाश में शारदा रेंज, दक्षिणी गुलिया पानी, उत्तर गुलिया पानी आदि जंगलों में संदिग्धों की तलाश में एसओटीएफ और वन विभाग की टीम ने तराई व भावर के जंगलों में सघन निरीक्षण अभियान चलाया गया है। इस अवधि में क्षेत्रवासियों से इनकी जानकारी भी मांगी गई और शत प्रतिशत मतदान का भी आग्रह किया गया।
एक लंबे अरसे से कुमाऊँ और गढ़वाल का कुछ क्षेत्र लाल घाटी के नाम से जाना जाता था जहां वामपंथी संगठनों और माओवादियों गतिविधियां तेज थीं। प्रदेश बनने के बाद इन गतिविधियों पर अंकुश लगा या यूं कह लें कि विकास के कारण माओवादी गतिविधियां कम हुई, लेकिन चुनाव में माओवादियों की सक्रियता ने गुप्तचर इकाईयों की नींद उड़ा दी है। जिसके कारण प्रशासन अब मानने लगा है कि क्षेत्र में माओवादियों की उपस्थिति है। पिछले दिनों अल्मोड़ा और सोमेश्वर में चुनाव बहिष्कार और लोकतंत्र विरोधी पोस्टरों से चुनाव में इनकी उपस्थिति का आभास हुआ और अब प्रशासन इन पर नजर रखने लगा है।
चीन और नेपाल सीमा से सटे इलाकों में माओवादी गतिविधियां होती रही हैं। ऐसे ही तत्व अब मतदान को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके कारण शासनतंत्र द्वारा यहां रात्रिकालीन भ्रमण व्यवस्था शुरू कर दी गई है। साथ ही साथ सुरक्षा बलों ने अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है। पिछले दिनों हुई ऐसी गतिविधियों को तत्कालीन डीजीपी बीएस सिद्दू ने विशेष गंभीरता से नहीं लिया था। उनका कहना था कि यह आम घटनाएं हैं जिसके कारण सामान्य औपचारिकता के रूप में रात्रि कालीन भ्रमण तथा सुरक्षा बलों का प्रस्तुतिकरण किया जा रहा था| एक बार फिर पूर्व डीजीपी सिद्धू द्वारा नकारी गई व्यवस्थाएं प्रशासन की ध्यान में आयी हैं जिसके कारण माओवादी गतिविधियों पर विशेष सतर्कता की आवश्यकता आ गई।