देहरादून। कंधे पर भाई की लाश ढोने का मामला तूल पकड़ने लगा है। राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी मामले का संज्ञान लिया है। मानवता को शर्मसार करने वाले इस मामले को अखबारों में पढ़ने के बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने दून अस्पताल से पूरे मामलेकी स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट के आधार पर आयोग आवश्यक कार्यवाही करेगा।
इंसानियत को शर्मसार करने वाला यह ह्रदयविदारक वाकया तीन मई 2018 को दून अस्पताल में प्रकाश में आया था। इसके बाद मामला मीडिया में आने से सनसनी की तरह फैल गया। धामपुर में फलों की ठेली लगाने वाला पंकज अपने बीमार भाई सोनू का इलाज करवाने तीन मई की सुबह ही धामपुर से दून पहुंचा था। यहां बीमार सोनू की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। सोनू धामपुर में ही हलवाई का काम करता था। वह फेफड़ों के इंफेक्शन से ग्रस्त था। गरीब पंकज के पास इतने भी पैसे नही थे कि वह अपने भाई सोनू की लाश को धामपुर ले जाने के लिए किसी एम्बुलेंस का खर्चा उठा पाता। दून अस्पताल डॉक्टर और प्रशासन के आगे गरीब पंकज ने आंसू बहाते हुए हाथ जोड़कर मिन्नत की कि उसके लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करवा दें, लेकिन दून अस्पताल प्रशासन का दिल नहीं पसीजा। मजबूरी में पंकज ने अपने भाई की लाश को कंधे पर लादकर धामपुर के लिए निकल पड़ा। उसके दून अस्पताल से बाहर निकलकर एमकेपी तक पहुंच जाने पर कुछ लोग उसे बुलाकर वापस लाए और उसके लिए चंदा इकट्ठा किया। चंदे की रकम से उसे धामपुर के लिए रवाना किया गया।
दून अस्पताल से मांगी है रिपोर्ट
मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग की सदस्य डॉ. हेमलता ढौडियाल ने कहा कि इस प्रकार का मामला बेहद दुखद और शर्मनाक है। आयोग ने स्वत संज्ञान के अधिकार के तहत दून अस्पताल से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। दून अस्पताल की रिपोर्ट फिलहाल प्राप्त नहीं हुई है। रिपोर्ट आने के बाद मामले में आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
किन्नरों और सिपाहियों की थी मदद
अपने भाई की लाश को कंधे पर ढोकर भटक रहे पंकज को मौके पर मौजूद किन्नरों और पुलिस कर्मियों ने चंदा इकट्ठपा कर मदद की थी। पुलिसकर्मी सतीश मिश्रा और सते सिंह ने चंदे की रकम से सोनू के शव के लिए एम्बुलेंस के किराए और दाह संस्कार की रकम का इंतजाम हो सका था।