देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज के तीसरे बैच की मान्यता पर अड़ंगा लग गया है। एमसीआई ने कॉलेज में फैकल्टी की कमी सहित कई खामियां गिनवाई हैं। इन कमियों को दूर करने के लिए एक माह का समय दिया है। जिसके बाद एमसीआई की टीम कॉलेज का पुन: निरीक्षण करेगी।
दून मेडिकल कॉलेज को गत वर्ष 150 एमबीबीएस सीट की मान्यता मिली थी। इस साल एमसीआई ने द्वितीय एलओपी (लेटर ऑफ परमीशन)दी। हाल में यहां एमबीबीएस के दो बैच अध्ययनरत हैं। अगले साल अगस्त-सितम्बर में यहां तृतीय बैच के दाखिले होंगे। जिसकी मान्यता के लिए एमसीआई की टीम ने करीब दो माह पूर्व मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का निरीक्षण किया था। जिसमें व्यवस्थाएं अनुकूल नहीं पाई गई हैं। एमसीआई ने फैकल्टी की कमी सहित कई खामियां गिनवाई हैं। इसे लेकर कॉलेज प्रशासन को कंपलाइंस भेजी गई है। खामियां दूर करने के लिए एक माह का समय दिया है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का दावा है कि समय रहते यह सभी खामियां दूर कर ली जाएंगी। एमसीआई द्वारा इंगित की गई खामियों पर काम शुरू कर दिया गया है।
कॉलेज में दाखिले पर रोक नहीं लगी है, बल्कि एमसीआई ने कुछ खामियां इंगित कर इन्हें दूर करने के लिए एक माह का समय दिया है। पिछली दफा भी एमसीआई के तीन निरीक्षण हुए थे। इनमें एक नियमित जबकि दो निरीक्षण कंपलाइंस के तहत किए गए।
– डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता, प्राचार्य दून मेडिकल कॉलेज
तृतीय बैच के दाखिले अगले साल अगस्त में होने हैं। इस बीच खामियां दुरुस्त करने का पर्याप्त समय है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है और एमसीआई ने पूर्व में भी कंपलाइंस भेजी है। जिसका वक्त पर समाधान किया गया और मान्यता भी मिली।
– डॉ. आशुतोष सयाना, निदेशक चिकित्सा शिक्षा
बच्चा वार्ड बंद होने के कारण इसके बेड चर्म रोग में एडजस्ट करने पड़े हैं। मरीजों के अत्याधिक दबाव के कारण अतिरिक्त बेड लगाने पड़े हैं। नया ओपीडी ब्लॉक लगभग बनकर तैयार है। इसी तरह कुछ छोटी-छोटी खामियां हैं, जिन्हें दुरुस्त करते वक्त नहीं लगेगा। मुख्य समस्या फैकल्टी की है।
– डॉ. केके टम्टा, चिकित्सा अधीक्षक, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल
ये बताई खामियां
-आवश्यक फैकल्टी में 25 फीसद की कमी।
-रेजिडेंट की 14.28 फीसद कमी।
-नेत्र रोग की ओपीडी में मामूली सर्जरी के लिए कक्ष नहीं।
-वार्डों में बेड के बीच दूरी मानकों के अनुरूप नहीं।
-चर्म व यौन रोग से जुड़े बेड नहीं।
-कई वार्ड में की सुविधा ही नहीं।
-माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, फोरेंसिक मेडिसन व पैथोलॉजी विभाग निष्क्रिय।
-केंद्रीयकृत पुस्तकालय में 40 के सापेक्ष 30 ही जर्नल।
-अस्पताल में लेक्चर थियेटर नहीं।
-अस्पताल में इंटरकॉम तक की सुविधा उपलब्ध नहीं।