ये बच्चा था क्लास का शरारती मगर जब निखरा तो सोना

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काशीपुर। क्लास का एसा स्टूडेंड जो शरारती जरुर था मगर शिक्षकों के सवाल पुछने से पहले ही जिससे जवाब मिल जाते थे, वो एक ही छात्र था, शिवांश, जिसने साबित कर दिखाया कि अगर दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। आई.आई.टी क्वालीफाई करने के बाद भी देश भक्ति का जूनून इस कदर शिवांश के दिलो दिमाग में था, एनडीए की प्रवेश परीक्षा में सर्वोच्च स्थान हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है।
shivanshहौसले अगर बुलंद हों और लक्ष्य निर्धारित हो तो सफलता कदम चूमती है। ऐसा ही लक्ष्य लेकर चले रामनगर के रहने वाले शिवांश जोशी ने प्रारम्भिक शिक्षा काशीपुर के लिटिल स्कालर्स से प्राप्त की।शिवांश की इस सफलता पर पुरे स्कूल ने शिवांश को सम्मान दिया और स्कूल के वार्षिकोत्सव पर सम्मानित किया गया। शिवांश ने कहा कि बचपन से ही देश सेवा करने का सपना था। लेकिन माता पिता सिर्फ इससे सन्तुष्ठ नहीं थे जिसके लिए शिवांश ने माता पिता का सम्मान रखने के लिए और अपनी शैक्षिणिक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए पहले आई.आई.टी क्वालिफाई किया, जिसमें सफलता हासिल तो की मगर देश सेवा करने की जो अलख शिवांश के दिल में थी उसको पुरी करने के लिए शिवांश ने एनडीए की परीक्षा दी, जिसमें सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर ना सिर्फ माता पिता का मान बढाया बल्कि प्रदेश का नाम भी रोशन किया। शिवांश बताते है कि उनकी इस सफलता में उनके शिक्षकों का अहम योगदान रहा है, खास तौर पर इन्गिश के लिए रीतु भल्ला मैडम ने उनको तैयार किया।

शिवांश के स्कूल के प्रधानाचार्य एस.के सिंह ने बताया कि बचपन से ही अनुशासन में रहना और इमान्दारी का परिचय देना शिवांश की खूबी रही है, शिवांश ने अपनी गलतियों को हमेशा ही स्वीकार किया है, लेकिन अनुशासन कभी नहीं बिगाडा उनके शिक्षकों का कहना है कि शरारतों में शिवांश जरुर आगे रहे और शोर शराबा भी खूब किया, मगर सवालों के जवाब देने में माहिर शिवांश की हर गलती को शिक्षक भी नजर अंजाद करते थे…।

आईआईटी करने के बाद हर किसी का सपना होता है, बेहतर जाॅब, और बेहतर सैलरी। मगर देश सेवा करने का जज्बा रखने वाले एसा नहीं सोचते, उन्ही मे से एक शिवांश है जिन्होने ये शाबित किया शैक्षिणिक क्षमता भले ही उनकी उच्च स्तर की हो, मगर देश सेवा से बडी कोई योग्यता नहीं होती, इसी लिए आईआईटी छोड एनडीए में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले शिवांश आज भावी पीढी के लिए प्रेरणाश्रोत बन गये हैं।