झिलमिल सितारों के बीच आसमान मे दिखेगा ये नज़ारा

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नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार यह खगोलीय घटना हेली कॉमेट के कारण होती है। जब भी कोई कॉमेट पृथ्वी की राह से होकर गुजरता है तो अपने पीछे उल्काओं का ढेर सारा अवशेष छोड़ जाता है। जी हां चार से सात मई तक झिलमिल सितारों के बीच उल्काओं की बरसात होगी। कॉमेट हेली के छोड़े अवशेषों के कारण होने वाली आसमानी आतिशबाजी की इस अनोखी खगोलीय घटना को वैज्ञानिकों ने ऐटा एक्वारिड मेटियोर शॉवर नाम दिया है।

हालांकि मेटियोर सामान्य खगोलीय घटना है, लेकिन पूरे साल में चंद बार ही इसे विस्तृत रूप से देखा जा सकता है। इस सप्ताह के अंत में ऐसा ही मौका मिलेगा। शुक्र व शनिवार की रात यह घटना चरम पर रहेगी। आधी रात के दौरान एक घंटे में लभगभ 30 मेटियोर आसमान से गिरती नजर आएंगी।  बाद में पृथ्वी जब अपने पथ से गुजरती है तो ये अवशेष धरती के वातावरण से टकराकर जल उठते हैं। तब आतिशबाजी जैसा नजारा देखने को मिलता है। चरम पर रहने वाली इस तरह की रोमांचक घटनाएं वर्ष में आठ-दस बार देखने को मिलती हैं।

आमतौर पर इसे लोग टूटता तारा कहते हैं, लेकिन सच्चाई इससे कहीं परे है। इस कॉमेट की खोज वैज्ञानिक एडमंड हेली ने की थी। पिछली बार यह कॉमेट 1986 में सूर्य के निकट आया था। अब अगली बार 2061 में आएगा। खगोलीय घटनाओं में रुचि रखने वालों को इस वर्ष चार बार मेटियोर शॉवर का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा। इसमें एटा एक्वारिड के बाद 12 अगस्त को पर्शिड, 21 अक्टूबर ओरिओनिड, 16 नवंबर लिओनिड व 15 दिसंबर को जेमिनिड शॉवर के चलते आसमानी आतिशबाजी का नजारा देखने को मिलेगा।