आसन बैराज से घर वापसी करने लगे विदेशी पक्षी

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हम परिंदे हैं कहीं भी आशियाना बना सकते हैं भले ही पक्तियां एक मशहूर शायर की है,लेकिन उत्तराखंड में विदेशी पक्षियों का आने का सिलसिला वर्षों से आने का प्रारंभ हुआ है वह सर्दियां शुरू होते ही शुरू हो जाता है और गर्मियां प्रारंभ होते ही विदेश पक्षी लौटने लगते हैं। उत्तराखंड पक्षी प्रजाति के लिए काफी मशहूर स्थान है। जहां अधिकांश पक्षी आते हैं। गंगा यमुना का क्षेत्र इनके लिए और आकर्षण के केन्द्र हैं। डोईवाला के आसपास मालदेवता,लक्षीवाला इन पक्षियों के लिए काफी प्रमुख स्थल हैं। इसी तरह अलगार घाटी का देवलसारी, गोविंद पशु विहार में पक्षियों का आना, देवरिया ताल, चैपता, तुंगनाथ मंडल अद्भुद रूप से पक्षियों का निवास है। तापमान बढने के कारण अब इन विदेशी सैलानी पक्षियों का प्रवास अपने देशों की ओर हो रहा है। आसन बैराज से प्रवास पर आए पक्षी अपनी देशों को लौटने लगे हैं।

आंकड़े बताते हैं कि अब पक्षियों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है,जो विदेशी पक्षी इन क्षेत्रों में आते हैं। उनकी लगभग डेढ़ दर्जन प्रजातियां उत्तराखंड आती हैं, जो अब धीरे-धीरे वापस हो रही हैं हालांकि अब तक लगभग तीन प्रजातियों के पक्षी ही कम हुए हैं,लेकिन गर्मियों के आते ही इनके वापसी का तरीका इस बात का संकेत देता है कि पक्षी मनुष्यों से अधिक चालक हैं। हमने चाहे अनचाहे अपने साथ-साथ पशु पक्षियों के आवासों को भी प्रभावित किया है। उसके बावजूद वर्षों से आ रहे ये पक्षी निरंतर यहां पहुंच रहे हैं।
प्रदेश में लगभग दो दर्जन ऐसे स्थल हैं जहां ये पक्षी आते ही आते हैं इनमें बिन्सार जागेश्वर भी शामिल है,जो पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। ये स्थिति वन विभाग के लिए काफी सुखद मानी जाती है और विभाग इन पक्षियों की हत्या करने वाले हत्यारों पर लंबी नजर रखता है। कई पक्षियों के शिकारी इन्हें पूरी तरह नेस्तनाबूद कर देते हैं जिसके कारण पक्षियों को काफी क्षति होती है। उत्तराखंड में लगभग सौलह ऐसे स्थान हैं जहां ये पक्षी निरंतर भ्रमण करने के लिए आते हैं। इनमें आसन बैराज के साथ-साथ चकराता का कोटी कनासर भी शामिल है।

asan1 सही मायने में आसन को जलपक्षियों का स्वर्ग कहा जाए तो अतिउक्ति नहीं होगी। 2005 में स्थित स्थान आसन पक्षी संरक्षण भारत का पहला संरक्षण रिजर्व है। लगभग 4.44 स्के किलोमीटर के क्षेत्र में फैला आसन बैराज यमुना और आसन के संगम पर है। इस क्षेत्र में 255 प्रजातियों से अधिक पक्षी आते थे। आसन से 12 किलोमीटर दूर तिमली और आसन पक्षी रिजर्व उत्कृष्ट स्थान हैं, जो पक्षी यहां आते हैं उनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेट बिटर्न, आम गोल्डनआई, बेयर के पोचार्ड , कैरूगिनस पोचर्ड, मस्मर चैती, कम सफेद हंस, पेंट सारस, पालस फिश, ईगल, स्टोर्क बिल्ड किंगफिशर, सफेद पूछधारी रूबीथ्रोट वाइटेट,ताजपोषित पेनडूलाइन टिट जैसे पक्षियों के नाम शामिल हैं।
तापमान बढने के कारण देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड में प्रवास पर आए परिंदे अपने देश लौटने लगे हैं। इसके चलते 20 में से तीन प्रजातियों के परिदों की संख्या काफी कम हो गई है। विधिवत गणना में नमभूमि क्षेत्र में 4589 पक्षी अनुमानित किए गए थे। चकराता वन प्रभाग की स्थानीय गणना में वर्तमान में 3 हजार से अधिक पक्षी ही दिख रहे हैं। पक्षी पर्यवेक्षक बताते हैं कि
नमभूमि क्षेत्र में अक्तूबर में पक्षी प्रवास के लिए आने शुरू हो जाते हैं और मार्च अंत तक सभी पक्षी अपने देश को वापस लौट जाते हैं। सबसे बाद में रुडी शेलडक यानि सुर्खाब लौटता है।