हरिद्वार, इस बार गंगा के तट तय समय से पहले ही प्रवासी पक्षियों से गुलजार हो गए हैं। इस बार 20 दिन पहले ही ये प्रवासी पक्षी हरिद्वार पहुंच गए हैं, लेकिन हरिद्वार गुरुकुल के सर्वे में इसे ठीक नहीं माना गया है। सर्वे के अनुसार पक्षियों का समय से पहले पहुंचना क्लाइमेट चेंज या ग्लोबल वार्मिंग का नतीजा हो सकता है। जो तटीय क्षेत्र हरिद्वार वन प्रभाग के अंतर्गत आते हैं वहां वन विभाग द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर दिए गए हैं।
हर साल नवम्बर माह के अंत में गंगा के तटों पर प्रवासी पक्षी डेरा डालने हरिद्वार आते हैं। लेकिन इस बार समय से पहले ही इन पक्षियों का आगमन हो गया है। इसे लेकर गुरुकुल की आर्कियोलॉजी प्रयोगशाला ने इस पर गहन सर्वेक्षण किया। जिसकी रिपोर्ट में आया है कि ग्लोबल वार्मिंग या क्लाइमेट चेंज का नतीजा है कि ये पक्षी इस बार 20 दिन पहले ही हरिद्वार पहुंच गए हैं।
गुरुकुल के डा. दिनेश भट्ट बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है, जिस स्थानों पर बर्फ देर से पड़ती है तो ये पक्षी जल्दी से अपना स्थान बदल देते हैं और यदि जल्दी पड़ती है तो देर से अपना स्थान छोड़ दूसरे स्थानों पर चले जाते हैं। जो किसी भी स्थिति में अच्छा संकेत नहीं है। प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग की होती है। गंगा नदी से सटे चिड़ियापुर, रासियबड़ रेंज और बाणगंगा के तटीय इलाकों में इनका प्रवास होता है।
हरिद्वार वन प्रभाग ने इन क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। हाथियों के आगमन के कारण पहले से ही सुरक्षा में वनकर्मियों की तैनाती कर दी गई है जो इन पक्षियों का भी विशेष ध्यान रख रहे हैं। ये वन विभाग की जिम्मेदारी है कि मेहमान प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा की जाए। गंगा तट पर घास के मैदानों में रहकर ये पक्षी अपना प्रजनन तक का समय यही बिताएंगे जिसे लेकर वन विभाग द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने का दावा किया गया है।