देहरादून, पिछले कुछ समय में उत्तराखंड में आए भूकंप के झटकों ने वैज्ञानिकों सहित आमजन को भी परेशानी में डाल रखा है। कुछ दिनों के अंतराल के बाद लगातार आ रहे इन झटकों को किसी बड़े भूकंप का अलर्ट माना जा रहा है। वैज्ञानिकों ने इस बात पर जोर देकर कहा है कि उत्तराखंड जिस प्रकार के सिस्मिक जोन में आता है उससे इस बात को और बल मिलता है। विशेषज्ञों की मानें तो उत्तराखंड में जिस प्रकार से लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैंए उसे बड़े खतरे का संकेत भी हो सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो उत्तराखंड में जिस प्रकार से लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं, उसे बड़े खतरे का संकेत भी मान सकते हैं।
धरती के अंदर चल रही उथल-पुथल को लेकर पूर्वानुमान लगाना बेहद मुश्किल काम है। विशेषकर, यह बता पाना फिलहाल असंभव है कि किस क्षेत्र में कब और कितना बड़ा भूकंप कितनी अवधि के भीतर आ सकता है। देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तराखंड समेत उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में बड़े भूकंप की आशंका हर वक्त बनी रहती है।
हिमालयी क्षेत्र की भूगर्भीय प्लेटों का लगातार तनाव में रहना इसकी मुख्य वजह है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इंडियन प्लेट प्रतिवर्ष 45 मिलीमीटर की रफ्तार से यूरेशियन प्लेट के नीचे घुस रही है। इससे भूगर्भ में लगातार उर्जा संचित हो रही है। तनाव बढ़ने से निकलने वाली अत्यधिक उर्जा से भूगर्भीय चट्टानें फट सकती हैं। 2000 किलोमीटर लंबी हिमालय श्रृंखला के हर 100 किमी क्षेत्र में उच्च क्षमता का भूकंप कभी आ सकता है। हिमालयी क्षेत्र में ऐसे 20 स्थान हो सकते हैं। वैसे इस बेल्ट में इतनी शक्तिशाली भूकंप आने में करीब 200 साल का वक्त लगता है। वैज्ञानिक आशंका जता रहे है कि हालात इस ओर इशारा कर रहे कि उत्तराखंड समेत समूचे उत्तर भारत में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है।
यूरेशियन-इंडो प्लेट की टकराहट से भूमि के भीतर से ऊर्जा बाहर निकलती रहती है। इससे भूकंप के झटके आते रहते हैं। हालांकि उत्तराखंड समेत समूचे उत्तर भारत में लंबे समय से बड़ा भूकंप नहीं आया है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि यहां धरती के भीतर भारी मात्रा में उर्जा संरक्षित हो सकती है जो कभी भी बड़े भूकंप का सबब बन सकती है। भूगर्भीय लिहाज से नाजुक उत्तराखंड में असंख्य थ्रस्ट व फॉल्ट्स सक्रिय हैं। इनकी लगातार सक्रियता के कारण भूकंपीय हलचल स्वाभाविक तौर पर बढ़ने लगी है। यही कारण है कि पिछले कुछ समय से भूकंप का केंद्र उत्तराखंड ही बन रहा है।