सैकड़ों करोड़ रुपये़ के बजट के एडीबी का सीवर व पेयजल लाइन प्रोजेक्ट कछुआ चाल से चल रहा है। इतना ही नहीं तय मानकों व कार्य की गुणवत्ता को भी ताक पर रखा जा रहा है। इसका परिणाम है कि कहीं नई डाली गई सीवर लाइन के चैम्बर अभी से टूटने शुरू हो गए हैं, तो कहीं बिना कनेक्शन ही पानी आना शुरू हो गया है। सीवर लाइन के बाद डाली जाने वाली पेयजल लाइन में भी इसी तरह की खामियों को छोड़ा जा रहा है।
नगर में एडीबी चार वर्षों से सीवर व पेयजल लाइन बिछाने का कार्य कर रहा है। अधिकांश गलियों में सीवर लाइन का कार्य 10 माह बाद भी पूरा नहीं किया जा सका। सड़कें ज्यों की त्यों खुदी पडी हैं। कुछ गलियों में सीवर लाईन डालने के बाद पेयजल लाईन पर कार्य चल रहा है। सीवर का कार्य में एडीबी के कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठे। कई स्थानों पर बहते पानी के बीच ही सीवर के मेनहोल बना डाले तो अधिकांश चैम्बर बिना प्लास्टर किए ही मिट्टी में दबा दिए गए। बावजूद इसके एडीबी के अवर अभियंता पवन टोलिया, गुणवत्ता और मानको की अनदेखी पर जांच और सख्त कार्यवाही करने के साथ ही कमियों को दूर करने के दावे मात्र कर रहे है।
सडक से डेढ़ से दो ईंच नीचे डाली पेयजल लाईन
पुरानी तहसील में सीवर के बाद अब डाली जा रही पानी की लाईन में अनियमितताओं की सारी हदें पार कर दी। यहां ए.डी.बी. प्रोजेक्ट प्रबंधको द्वारा मानकों की धज्जियां उडाई जा रही हैं। पेयजल लाईन कई स्थनों पर सडक से मात्र डे़ढ से दो ईंच की गहराई पर डाली जा रही है। इतना ही नहीं यह लाईन नई डाली गई सीवर लाईन के मेन चैम्बर के ढक्कन के उपर से ही डाल दी गईं। गली के श्याम सुंदर, संजय चौहान, कुलदीप आदि ने इसकी शिकायत जब प्रोजेक्ट मैनेजर संजीव कुमार से की तो उन्होंने अवर अभियंता जीतेन्द्र को मौके पर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर दी। अवर अभियंता लाईन की गहराई बढाने और दिशा बदलने के निर्देश देकर मौके से चलते बने। अवर अभियंता के जाते ही बिना कोई परिवर्तन किय पूर्व की भांति ही लाईन डाल दी गई।
जनता के पैसे की हो रही बर्बादी
ठेकेदार की मिलीभगत और भ्रष्टाचार का प्रमाण बताते हुए क्षेत्रवासियों ने कहा कि इसके बाद एडीबी के प्रोजेक्ट मैनेजर से लेकर सभी अधिकारियों ने जनता के फोन उठाने ही बंद कर दिये। लोगो का कहना है कि सब कुछ एडीबी अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जनता के पैसे से कराये जा रहे पैसे की बर्बादी में अधिकारी भी शामिल हैं