दलित सियासत को साधेंगे हरीश-प्रीतम के राजकुमार

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देहरादून, कांग्रेस की तरफ से दलित सियासत को साधने का जिम्मा उत्तराखंड में अब पूर्व संसदीय सचिव और विधायक राजकुमार के सुपुर्द कर दिया गया है। कांग्रेस एससी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद पर लंबे समय से चल रहे विवाद का हाईकमान ने अब राजकुमार के रूप में ऐसा हल निकालकर दिया है, जिसका कांग्रेस के दोनों गुटों के साथ बेहतर तालमेल है। इससे पहले इस प्रकोष्ठ के अध्यक्ष दर्शन लाल को लेकर दोनों गुटों के बीच इस कदर तल्खियां बढ़ गई थीं कि हाईकमान को खुद यह मामला देखना पड़ा था।
दरअसल इस प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे दर्शन लाल को पूर्व सीएम हरीश रावत का आशीर्वाद प्राप्त था। इस कारण प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को वह कभी नहीं भाये। प्रकोष्ठ के कई कार्यक्रमों में जब प्रीतम सिंह ने भागीदारी नहीं की तो उन्होंने हाईकमान से इसकी शिकायत की। उन्होंने प्रीतम सिंह पर जानबूझकर उपेक्षा का आरोप लगाया था। विवाद इतना बढ़ा कि दर्शनलाल को निलंबित करना पड़ा। हालांकि दर्शनलाल का निलंबन कुछ समय बाद ही वापस भी हो गया लेकिन दोनों पक्षों के बीच तनातनी खत्म नहीं हुई।
उत्तराखंड में दलितों को कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में यह कांग्रेस से खिसककर काफी हद तक भाजपा के पास चला गया है। हरिद्वार, यूएसनगर जैसे इलाकों में बसपा ने इस वोट बैंक में सेंध लगाई है। इस बीच यशपाल आर्य, रेखा आर्या जैसे नेताओं ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। इस वजह से भी दलितों पर कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई है। पार्टी के पास ले देकर प्रदीप टम्टा जैसे कुछ एक दलित नेता रह गए हैं। कांग्रेस काफी पहले से दलित सियासत को साधने की कोशिश में है और इस परिप्रेक्ष्य में उसे अपने एससी प्रकोष्ठ से उम्मीदें रही हैं, लेकिन वहां स्थिति सामान्य नहीं रही है।
कांग्रेस लंबे समय से एससी प्रकोष्ठ के लिए सर्वमान्य नेता की तलाश में थीं जो अब राजकुमार पर आकर खत्म हुई है। राजकुमार के प्रति पार्टी का विश्वास इसलिए भी मजबूत है कि वर्ष 2016 में कांग्रेस में बगावत के दौरान भाजपा लाख कोशिश के बावजूद उन्हें अपने पाले में खींच नहीं पाई थी। तत्कालीन सीएम हरीश रावत के साथ वह मजबूती से खडे़ रहे थे। इसलिए हरीश रावत उन्हें बेहद पसंद करते हैं। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के साथ भी वह शुरू से तालमेेल बनाकर चलते रहे हैं। इसलिए उनकी ताजपोशी को प्रीतम गुट की तरफ से भी हरी झंडी मिली। हालांकि राजकुमार का इतना ही कहना है कि वह सबको साथ लेकर दलित समाज में कांग्रेस की मजबूती के लिए काम करेंगे।