सांसद वरुण गांधी ने गिनाई राजनीति की कमियां, कसे तंज

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    देहरादून के एक संस्थान में व्याख्यान देने आए सुल्तानपुर के सांसद वरुण गांधी मंगलवार को अलग रूप में नजर आए। अमेरिका में भले ही उनके बड़े भाई राहुल गांधी ने परिवारवाद की पैरवी की हो, लेकिन वरुण ने परिवारवाद पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘मेरे नाम के आगे गांधी न लगा होता तो मैं भी आप के बीच बैठकर भाषण सुन रहा होता।’ कहा कि, देश में ऐसी व्यवस्था बननी चाहिए, जिससे आम परिवार के लोग भी राजनीति में आएं। सिस्टम में सुधार के लिए आम लोगों का दखल बेहद जरूरी है।
    मंगलवार को बीएफआईटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट में ‘द रोड टू इंडियाज फ्यूचर’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में वरुण ने राजनीति की कमियों को गिनाया, लचर सिस्टम पर तंज कसे, किसान, गरीब और मजदूर की बात करते हुए युवाओं से देश को बदलने का आह्वान किया। कहा कि जब तक जनप्रतिनिधि जनता के समक्ष जिम्मेदारी और पारदर्शिता के साथ पेश नहीं आएंगे, तब तक असली लोकतंत्र की स्थापना नहीं होगी। उन्होंने नेताओं से अपील कि संसद को नीति का केंद्र ही रहने दें। उन्होंने कहा कि गरीब की किसी को चिंता नहीं है। तमिलनाडु के किसानों ने दिल्ली में मूत्र पीकर पीड़ा बयां की, लेकिन कोई उनसे मिलने तक नहीं गया। इसके बाद तमिलनाडु में विशेष सत्र बुलाया गया, लेकिन किसानों की चर्चा करने के बजाय विधायकों ने अपना वेतन बढ़ा लिया। सांसदों का ही वेतन पिछले पांच साल में पांच गुणा बढ़ चुका है। जबकि, पिछले 15 सालों में औसतन एक साल में 60 दिन ही काम हो रहा है। जब सांसद काम नहीं कर रहे तो वेतन किस बात का बढ़ाते हैं।
    चुनाव से पहले तमाम मुद्दों पर हो खुली बहस
    उन्होंने कहा कि अगली बार देश में प्रधानमंत्री का चुनाव हो या किसी का भी, जनता के तमाम मुद्दों पर खुली बहस होनी चाहिए, जैसे अमेरिका व अन्य देशों में होती है। महिला सशक्तीकरण की बात करते हुए उन्होंने राजनीतिक दलों को कठघरे में खड़ा करते हुए पूछा कि कितनी महिलाओं को लोकसभा या विधानसभा का टिकट मिलता है। उन्होंने युवाओं से कहा कि पैसा कमाने के साथ ही सामाजिक उद्यमिता से जनकल्याण के कार्य कर सकते हैं। वरुण गांधी ने कहा कि संसद में भी मेरे ऐसे कई साथी हैं, जो 12 से 21 फीसद वोट पाकर सांसद बन गए। क्या वो जनप्रतिनिधि हैं, इस पर भी हमें गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
    आगामी सत्र में संसद में आ सकता है ‘राइट टू रि-कॉल’
    वरुण गांधी ने कहा कि ‘मैंने संसद में राइट टू रि-कॉल’ का प्रस्ताव दिया है। यह आगामी सत्र में संसद में आ सकता है। इसमें अगर चुने गए प्रतिनिधि से क्षेत्र की जनता असंतुष्ट है तो गंभीर मुद्दों को लेकर 50 फीसद वोटर रि-कॉल का प्रस्ताव दे सकते हैं। आखिर कब तक जनता भाषण सुनने तक सीमित रहेगी। जनता को बराबरी का हिस्सा मिलना चाहिए।