‘शो-पीस’ बनकर रह गया मोदी सरकार का स्वच्छता अभियान : कांग्रेस

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नई दिल्ली,  कांग्रेस ने शनिवार को नरेन्द्र मोदी सरकार के स्वच्छ भारत अभियान पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्वच्छ भारत मिशन अन्य योजनाओं की तरह जुमला साबित हुआ। शौचालय निर्माण में गड़बड़ी से लेकर पानी की अनुपलब्धता तक एवं सफाईकर्मियों की मृत्यु से लेकर आंकड़ों की बाजीगरी तक यह अभियान महज ‘शो-पीस’ बनकर रह गया है।

कांग्रेस ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग), सूचना का अधिकार (आरटीआई) और स्वयंसेवी संस्थाओं की रिपोर्टों के हवाले से विज्ञप्ति में कहा कि अपनी महत्वकांक्षा की पूर्ति के लिए मोदी सरकार ने शौचालय तो बनवाए, लेकिन पानी की उचित व्यवस्था के अभाव में वह अनुपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। पार्टी ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब इन शौचालयों का इस्तेमाल ही नहीं हो रहा तो कैसा स्वच्छ भारत मिशन।

पार्टी का आरोप है कि स्वच्छ भारत मिशन में 9,890 करोड़ खर्च ही नहीं हो पाए जिससे हजारों करोड़ रुपये का बजट अभी भी फाइलों में धूल फांक रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश में 2,836.28 करोड़, बिहार में 2,764.62 करोड़, मध्य प्रदेश में 866.68 करोड़, असम में 606.30 करोड़, झारखंड में 221.08 करोड़ और छत्तीसगढ़ में 214.77 करोड़ शामिल हैं।

कांग्रेस का आरोप है कि स्वच्छ भारत मिशन के आंकड़ों में केवल हेराफेरी की गई| प्रधानमंत्री मोदी का गृह राज्य गुजरात भी इससे अछूता नहीं है। स्वच्छ भारत मिशन में गुजरात को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) किया गया जबकि असलियत है कि 29 प्रतिशत घरों में शौचालय ही नहीं हैं। गुजरात के 120 में से 41 गांवों के शौचालयों में पानी की व्यवस्था नहीं है। भाजपा शासित मध्य प्रदेश को जहां देश के दूसरे स्वच्छ शहर का तमगा दिया गया जबकि सच्चाई है कि वहां पेयजल में मानव मूत्र की तुलना में कहीं अधिक जीवाणु मौजूद थे।

पार्टी का कहना है कि हाथ से मैला ढोने के कारण कारण 2017 के बाद से प्रत्येक पांच दिन में एक सफाईकर्मी की मौत हो रही है। 2018 में 53,236 लोग हाथ से मैला ढोने में शामिल थे जबकि सरकारी आंकड़ों में 13,657 लोग ही दर्ज किए गए थे।