गोपेश्वर। एक ओर पूरे देश में प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान की धूम मची है। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर शौचालय और स्वच्छता हर घर, नगर, बाजार, शहर तक पहुंचाने का संकल्प लिया जा रहा है वहीं चमोली जिले का एक ऐसा बाजार है जो लगभग तीस गांवों से जुडा है और घाट की अपनी जनंसख्या भी 15 हजार से कुछ कम नही। उस घाट बाजार में कोई सार्वजनिक शौचालय नहीं है। गांव से आयी महिलाऐं शौच और लघु शंका के लिए जब बाजार घर लौटती है तभी निवृत्त हो पाती है।
चमोली जिले का घाट बाजार भारत में स्वच्छता अभियान को मुंह चिढा रहा है। बढे-बढे नेताओं वाले इस विकास खंड के सबसे बडे बाजार में एक अदद शौचालय न होना सबको हैरत में डालता है। एक दिन में लगभग इस बाजार में दस हजार से अधिक लोग आते है इनमें ग्रामीण लोग भी है। जो खरीददारी और गांव से अपना उत्पाद बाजार में लाते है। गांव की महिलाऐं यदि घर से निकले और बाजार में आकर शौच या लघु शंका की परेशानी हो तो वे तभी निवृत्त हो पाती है जब बाजार से घर लौटती है। कहने को तो इस बाजार में जिला पंचायत का एक पुराना शौचालय भी है जो दो दशक पहले बना था। जो खंडर हो गया है। लोगों ने कई बार यह समस्या जिला पंचायत व विकास खंड स्तर पर रखी मगर किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। लोकलाज के कारण महिला कभी दुबक पत्थर की ओढ में लघुशंका करने को मजबूर हो जाती है। नदी किनारे शौच करने को मजबूर हो जाते है क्योंकि सार्वजनिक शौचालय है ही नहीं।
नंदादेवी राजजात पर करोडो खर्च, पर शौचालय नहीं बना
नंदा देवी राजजात के मुख्य पडाव में से एक है घाट बाजार। नंदादेवी राजजात यात्रा में अब तक संसाधनों को बनाने के नाम पर करोडो रूपये खर्च हो गये मगर किसी का ध्यान घाट बाजार में सार्वजनिक शौचालय बनाने पर नहीं गया। विकास योजनाओं के नाम भी ब्लाॅक कार्यालय ने धन पानी की तरह बहाया पर घाट बाजार में एक अदद सार्वजनिक शौचालय बनाने की इन्हें भी नहीं सुझी। जिला पंचायत टैक्स के नाम पर इस ग्रामीण बाजार से वसूली तो करता है पर शौचालय नहीं बना पाया।
जिलाधिकारी चमोली स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि, “स्थिति चिंता जनक है, मैं हाल ही में एक बहुद्देशीय शिविर में गई तो विशेष कर महिलाओं ने यह स्थिति बतायी। जिला पंचायत को निर्देश दिया गया है कि वह तुरंत घाट बाजार में सार्वजनिक शौचालय का आंगणन तैयार करे।”