मां के साथ घास काटते हुए मिली एवरेस्ट फतह करने की प्रेरणाः शीतल राज

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एवरेस्ट

एवरेस्ट के साथ सबसे कम उम्र की कंचनजंघा चोटी विजेता तथा हाल ही में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों साहसिक खेलों का सबसे बड़ा तेंजिंग नोर्गे पुरस्कार जीतने वाली ‘माउंटेन गर्ल’ शीतल राज को संस्था ‘रन टु लिव’ संस्था ने सम्मानित किया।

इस मौके पर पूछे जाने पर कि कमजोर नजर आने वाली कद-काठी के बावजूद उन्होंने पर्वतारोहण जैसा कठिन कॅरियर कैसे चुना, शीतल ने बताया कि वह बेहद गरीब परिवार से आई हैं। पिता वाहन चालक हैं। वह माता-पिता की पहली संतान थीं, इसलिए बचपन से ही मां के साथ पशुओं के लिए घास काटने पहाड़ पर जाती थीं। वहां उसे अद्भुत सुकून मिलता था और लगता था कि पहाड़ उसे बुलाते हैं। बाद में पढ़ाई के साथ एनसीसी में रहते एक साहसिक अभियान में शामिल होने के बाद उसने तय कर लिया कि उसे इसी क्षेत्र में जाना है।

शीतल ने कहा कि अपनी गरीबी की वजह से उन्होंने कई बार सामान्य कपड़ों में ही कई ऊंची चोटियां चढ़ी। उसकी प्रतिभा को देखकर पहले ओएनजीसी और बाद में 2018 में कुमाऊं मंडल विकास निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल ने उसकी अभिभावक की तरह मदद की। स्वयं सेवी संस्था ‘क्लाइंबिंग बियोंड द समिट्स’ के संस्थापक योगेश गर्ब्याल ने उसे आगे बढ़ाया और आज वह इस मुकाम पर पहुंची हैं।

आगे उसकी योजना अपनी संस्था के माध्यम से कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण पढ़ नहीं पाने वाली एवं परंतु पर्वतारोहण में आगे बढ़ने की इच्छुक बालिकाओं को इस क्षेत्र में पूरी मदद करने की है, और ऐसा वह कर भी रही हैं। इस दौरान उन्हें ‘रन टु लिव’ संस्था के अध्यक्ष पूर्व अंतरराष्ट्रीय धावक हरीश तिवारी की अगुवाई में संस्था का प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया।