मुईनुद्दीन ने मलेशिया रिले रेस में जीता कांस्य पदक

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गोपेश्वर, दौडने के लिए उम्र कहीं मायने नही रखती बस हौसला बुलंद होना चाहिये। ऐसा कर दिखाया है चमोली गोपेश्वर के 44 वर्षीय मुईनुद्दीन खान ने। उन्होंने मलेशिया में संपन्न प्रथम एशिया पैसेफिक मास्टर्स गेम्स मे 4 गुणा 400 मीटर रिले रेस में कांस्य पदक जीता। उनकी इस सफलता पर चमोली के खिलाडियों ने खुशी जाहिर करते हुये इसे संपूर्ण उत्तराखंड का गौरव बताया है।

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सात सितंबर से 16 सितंबर तक मलेशिया के पैनाग शहर में एशिया पैसेफिक मास्टर्स गेम्स हुये। जानकारी देते हुये मुईनुद्दीन खान जो पेशे से अध्यापक हैं ने बताया कि उत्तराखंड के खिलाडिय़ों ने इस अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में चार गोल्ड, चार सिल्वर व पांच ब्रोंच पदक जीते। इस स्पर्धा में 35 से अधिक उम्र के खिलाडी भाग लेते हैं। 4 गुणा 400 मीटर रेस में भारत को कांस्य पदक जिताने वाले मुईनुद्दीन की सफलता पर चमोली स्पोट्र्स क्लब के भरत सिंह, जिला फुटबॉल संघ के अध्यक्ष बद्री भट्ट समेत कई खिलाड़ियों ने खुशी जताई है।

उम्र कोई मायने नहीं रखती, खुद को फिट रखना जरूरी
खुद भी फिट और छात्रों समेत सबको फिट रखने की बात करते हैं मुईनुद्दीन। शिक्षक मुईनुद्दीन कहते हैं कि इंसान की सबसे बडी दौलत उसका सेहत मंद रहना है और इसके लिये सदैव दौडना, खेलना और मेहनत जरूरी है। अपने शहर गोपेश्वर में तो वेे युवा खिलाडियों को खेल के प्रति जागरूक तो करते ही हैं जहां भी शिक्षक रूप में तैनाती होती है वे हर जगह खूब खेलते भी हैं और खिलाते भी हैं। एथालैटिक्स के साथ-साथ फुटबॉल में मुईनुद्दीन खान की खूब रूचि है। 44 वर्ष की उम्र में वे न सिर्फ वरन खिलाडी के रूप में खेल मैदान में खूब दिखते हैं। चमोली में उन्होंने ने 25 से अधिक ऐसे फुटबॉल के खिलाड़ी तैयार किए हैं, जिन्होंने ने राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में प्रतिभाग किया।