स्वच्छ भारत का सच: निगम प्रशासन सजा रहा है खाली ज़मीनों में गंदगी का पहाड़

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तीर्थ नगरी में सफाई के दावों पर निगम प्रशासन नाकाम होता दिख रहा है। हरिद्वार रोड़ स्थित खाली भूंखड पर निगम की गाड़ियों द्वारा शहर का कूड़ा लगातार पाटा जा रहा है। हजारों मीट्रिक टन कूड़े के इस भूखंड में पहाड़ खड़ा होने से भूखंड से सटे इलाके बीमारियों की चपेट में हैं।
ऋषिकेश कूड़े के ढेर के रूप में तब्दील होकर रह गई है। नगर निगम ने हरिद्वार रोड़ स्थित भूखंड को कचरे से भरने का अभियान चला रखा है। स्थानीय निगम प्रशासन के पास कूड़ा निस्तारण की वैज्ञानिक प्रणाली नहीं है। ऐसे में प्लास्टिक समेत अन्य गंदगियां भूखंड में फेकी जा रही हैं। मिट्टी के अंदर न गलने वाले नान सालिड वेस्टेज को भी फेका जा रहा है। भूखंड में भरे जा रहे कचरे से निकलने वाली मिथेन गैस से मानव जीवन को हो रहे नुकसान पर रोक लगाने को लेकर सरकारी अमला कतई गंभीर नहीं है। नगर से रोज औसतन 40-45 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। निगम इसको चर्चित भूखंड में गेरकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेता है। भूखंड मे कूड़े का पहाड़ हर गुजरते दिन के साथ और ऊंचा होता जा रहा है। इससे उठती दुर्गध से लोगों का बुरा हाल हो गया है।कूड़ा निस्तारण के लिए निगम को भूमि नहीं मिलने की समस्या अभी भी बनी हुई है।
लोग बोले, निगम प्रशासन नहीं है संजीदा
ऋषिकेश के खाली भूंखड में कूड़े की भरमार और उससे उठती बदबू से सबसे ज्यादा परेशान गोविंद नगर क्षेत्र के लोग हैं। क्षेत्र वासियों वेद प्रकाश हिजड़ा पूर्व सभासद हरिश आनंद प्रकाश गोविंद सिंह का कहना है कि वर्षों से गंदगी के पहाड़ से सजा यह खाली भूखंड कैंसर बन गया है । हजारों मेट्रिक टन कूड़ा भूखंड में बिखरे पड़े होने की वजह से विभिन्न घातक बीमारियों की चपेट में क्षेत्रवासी आ रहे हैं । इस संदर्भ में अनेकों बार धरना प्रदर्शन आंदोलन चलाए जाने के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है। रोजाना निगम की गाड़ियां यहां शहर भर से एकत्रित किया गया कूड़ा फेंक रही है।
क्या कहते निगम अधिकारी
ऋषिकेश नगर निगम के उपायुक्त उत्तम सिंह नेगी का कहना है कि गोविंद नगर में पड़ रहे कूड़े को लेकर प्रशासन स्तर पर वार्ता चल रही है। इसे हटाने के लिए शासन व्यवस्था पर कूड़ा डंपिंग के लिए जगह का चयन किया जा रहा है। इसका समाधान होते ही किया सारा कूड़ा वहीं पर डंपिंग किया जाएगा।