पिछले कुछ समय में उत्तराखंड के युवाओं ने राज्य की तरफ वापस रुखकर यहां के लोगों के भविष्य को बेहतर बनाने की काफी मिसालें पेश की हैं। एक ऐसी ही कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसने अपनी मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ कर अपने घर और राज्य को प्राथमिकता दी। जी हां, टिहरी के चंबा की मोनिका पंवार इस वक्त #मशरुम उत्पादन के माध्यम से ना केवल खुद को स्वरोजगार से जोड़ रही बल्कि और लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।
23 साल की मोनिका पंवार चंबा, टिहरी की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई चंबा के कॉवेंट स्कूल से करने के बाद रुड़की के कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग से मैकेनिकल ब्रांच में बीटेक की डिग्री ली। 2016 में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नौकरी शुरु कर दी। अपने राज्य से दूर रहकर मोनिका ने लगभग दो साल काम किया लेकिन फिर उन्होंने महसूस किया कि दूसरे शहर और राज्य में रहकर काम करने से बेहतर है अपने राज्य में कुछ अपना काम करना। इसी सोच के साथ उन्होंने 2018 में अपनी नौकर छोड़ दी और वापस अपने घर चंबा का रुख किया।
मोनिका कहती हैं कि “मैने एक सोच के साथ अपने राज्य में रुख किया था कि क्यों ना उस जगह और लोगों के लिए कुछ किया जाए जहां से मै संबंध रखती हूं। उत्तराखंड के ऐसे पहाड़ी क्षेत्र जहां हमारे पास भूमि के नीचे सोने की खानें हैं, वे बंजर हैं और हर कोई बेहतर अवसरों को तलाशने के लिए पलायन कर रहा है। कोई यह नहीं सोचता कि क्या होगा यदि हमारे पास अच्छी शिक्षा होगी और हम अगली पीढ़ी के लिए इसे और बेहतर बनाने के लिए अपने घर के मैदानों में वापस आएंगे तो?”
हमेशा से खेती में रूचि रखने वाली मोनिका ने बहुत ही छोटे स्तर से अपने मशरूम उत्पादन की शुरुआत की। मशरूम उत्पादन एक ऐसी खेती है जिसके लिए भूमि की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इसे घरों के अंदर एक कमरे में भी उगाया जा सकता है। यहां तक कि जिसके पास अपनी जमीन नहीं है, वह केवल एक छोटे से कमरे में मशरूम उगा सकता है। कम से कम निवेश वाला कोई भी आठ-दस हजार में एक अच्छा स्थानीय व्यवसाय शुरू कर सकता है। मोनिका कहती हैं “कि मैंने खुद इसे अपने घर के एक छोटे से कमरे में शुरू किया जिसने मुझे अच्छा रिर्टन भी मिल रहा।”
मशरुम उत्पादन से जहां एक तरफ मोनिका स्वरोजगार की तरफ बढ़ रही वहीं उनके साथ और भी लोगों को रोजगार के अवसर दे रही हैं। इस वक्त मोनिका के साथ 5 महिलाएं और 2 पुरुष भी काम कर रहे हैं।
ऐसा नही है कि मोनिका को इस काम में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा। मोनिका कहती हैं कि “हालांकि मैं जानती थी और पहले से तैयार थी कि मुझे काफी परेशानियों को सामना करना पड़ेगा।मैं एक ऐसी जगह से संबंध रखती हूं जहां लोगों को 9-5 की सरकारी नौकरी बेहतर लगती हैं और एक लड़की का अपना व्यवसाय चलाना लोगों के लिए बड़ी बात है।इसके अलावा लोग मुझसे पूछते थे कि इंजिनियरिंग करने के बाद खेती करने का क्या मतलब है,ऐसे बहुत से सवालों को नजर अंदाज करते हुए मैं आगे बढ़ते गई।” मोनिका कहती हैं कि मशरुम उत्पादन के साथ उसकी मार्केटिंग मेरे लिए कठिन पड़ाव रहा लेकिन इन सभी पड़ावों को मैने बहुत आराम से पार कर लिया, क्योंकि मैं शुरुआत से जानती थी कि यह परेशानियां आऐंगी।
अंत में मोनिका कहती हैं , “भविष्य में मै अब पहाड़ों में मशरूम उत्पादन को जितना आगे बढ़ा सकती हूं उतना बढ़ाना चाहती हूं और फिर मेरे पास कुछ और आइडिया भी हैं।अगले विचारों पर अभी रिसर्च चल रही है और भगवान की कृपा से अगर सब ठीक हो गया तो यह काम भी जल्द ही शुरू हो जाएगा।”
आने वाले समय में मोनिका क्या अलग करने वाली हैं यह तो समय ही बताएगा लेकिन एक बात तो पक्की है कि मोनिका अपने साथ-साथ दूसरे युवाओं को भी यह संदेश दे रही हैं कि पलायन से बेहतर है अपनी धरती और गांव के लिए कुछ किया जाए।