मसूरी के प्रकाश सेमवाल औऱ पवन रावत मिसाल हैं इस बात के कि कैसे अगर मन में विश्वास हो तो इंटरनेट से भी आप अपने लिये व्यवसाय खड़ा कर सकते हैं। ये दोनों मसूरी शहर के पहले Cordyceps Militaris, मशरूम उगाने वाले बन गये हैं।
अपनी कड़ी मेहनत और लगन के कारण ये दोनों अपने इस महज एक साल पुराने प्रयोग से मुनाफा भी कमाने लगे हैं। शहर में किराये के 15×30 के कमरे और 2500 कोर्डीसेप्स मिलिटारीस से भरे जार की मदद से, इन्होने पांच से छह किलो फंगी कुछ ही महीनों में तैयार कर ली है।
कोर्डीसेप्स, इन दिनों बाजार में काफी मांग में है। इस हर्बल दवाईया बनाने के काम में लाया जाता है, इसके साथ-साथ इसके सेवन से प्रकृतिक शक्ति और शरीर का इम्यून सिस्टम भी बेहतर होता है।
प्रकाश सेमवाल बताते हैं कि “इंटरनेट पर हमें इन मशरूम और उनके अनगिनत फायदों के बारे में पता चला। मसूरी में मौसम इन मशरूम की पैदावार के लिये सही है, इसलिये हमने आमतौर पर उगाये जाने वाले प्रजाति की जगह इन्हे उगाने का फैसला किया।”
शुरुआत में 7-8 लाख की लागत के साथ इन दोनों ने अपने इस प्रयोग में तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया। इस युनिट में एयर कंडीशनर, ह्यूमिडिफायर, ड्रायर औऱ सीसीटीवी कैमरों से सभी पहलुओं पर नज़र रखी जाती है।
पवन रावत कहते हैं कि मशरूम की कीमत एक लाख रुपये प्रति किलो तक जा सकती है, और सुखाने के बाद कोर्डिसेप्स को चाय में या पाउडर के रूप में बेकरी उत्पादों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
पवन और प्रकाश का मानना है कि मसूरी एक मशहूर पर्यटक स्थल है, इसके कारण यहां के तमाम होटल व्यवसायी उनके उत्पाद का इस्तेमाल चाय और बेकरी में स्वादिष्ट खाने का सामना बनाकर आने वाले सैलानियों के लिये कर सकते हैं।
आने वाले दिनों में ये दोनों युवा, अपनी युनिट काो बड़ा करने की तरफ काम कर रहे हैं, ताकी ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस खास मशरूम की खूबियों का फायदा उठानो का मौका मिले।
जहां एक तरफ प्रदेश की सरकार लगातार रोजगार के मौके पैदा कर पलायन के साथ राज्य के आर्थिक हालातों को बेहतर बनाने की बाते करते हैं, वहीं मसूरी के पवन औऱ प्रकाश ने अपने इस प्रयोग से साबित कर दिया है कि अगर मन में विश्वास हो तो बिना किसी मदद के भी आप अपनी मंजिल पा सकते हैं।