देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय राजनिति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की खबर से पूरा देश शोक में डूबा हुआ है। जहां एक तरफ पूरा देश अटल जी को श्रद्धाजलि दे रहा हैं, वहीं मसूरी में भी लोग उन पलों को याद कर रहें जब अटल जी मसूरी में आया करते थे और यहां के लोगों से मिलना-जुलना और बातचीत करते थे।
हालांकि सब जानते हैं कि अटल जी राजनिति के साथ-साथ अपनी व्यक्तिगत जिंदगी को भी बिल्कुल हसमुख अंदाज में जीते थे। और हिमाचल प्रदेश का हिल स्टेशन उनके पसंदीदा जगहों में से एक था, लेकिन वह अलग-अलग मौकों पर पहाड़ों की रानी मसूरी भी आ चुके थे। शहर के कुछ पुराने लोग आज भी अटल जी के किस्से याद करते हैं। 95 साल के रतन लाल मसूरी के पुराने बाशिंदो में से एक हैं, और अटल जी की यात्रा को याद करते हुए बताते हैं कि “मुझे वह आरएसएसएस के समय से याद हैं जब हमने अपनी ओटीसी ट्रेनिंग नागपुर से की थी। हम एक साथ ही प्रचारक बने थे। अटल जी हमारे यहां नंदविला तीन बार आए थे। वह घर का बना हुआ खाना पसंद करते थे जो मेरी बेटी जैजवंती बनाती थी ।मेरा बेटा मनमोहन कर्णवाल उन्हें पहाड़ो की रानी मसूरी में घूमाता था।”
आखिरी बार जब अटल जी मसूरी जुलाई 1994 में आए थे तब उन्होंने गढ़वाल टेरेस में एक बैठक आयोजित की और विजिटर किताब में वापस लौटने का वादा किया था, वरिष्ठ पत्रकार बीजेंद्र पुंडिर बताते हैं। “वह एकांत गेस्ट हाउस या मोदी भवन में रहते थे। वह पुराने दोस्तों से मिलना, स्थानीय दुकानों पर बैठना और मसूरी घूमना पसंद करते थे।”
अटल जी उन सभी यादों और पलों को पीछे छोड़ गए जो उन्होंने सबके साथ बिताए थे।। उनकी सादगी,नम्रता,मनमोहक हंसी और उनके अदर वक्ता की खूबियां अतुलनीय है। मसूरी रोटरी क्लब ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और वहां के वरिष्ठ सदस्यों ने उन दिनों को प्यार से याद किया।
बेशक, एक अलग पहाड़ी राज्य बनाने का श्रेय, अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है। उत्तराखंड न केवल बनाया गया था बल्कि नए बने हुए राज्य को विशेष औद्योगिक पैकेज दिया गया था।उत्तराखंड और इसके जुड़ा हुआ पहाड़ी हिल स्टेशन अटलजी के दिल में एक खास जगह रखता था और यहां उनकी हर यात्रा पहाड़ों की रानी के इतिहास का एक हिस्सा होगी।