पहाड़ों की रानी मसूरी एक ऐसी डेस्टिनेशन है जो बिना किसी मौके रके ही सैलानियों को अपनी तरफ आकर्शित करती है।दिल्ली, चंडीगढ आदि से कम दूरी होने के कराण यहां विकेंड में बिना किसी त्यौहार और बिना किसी स्पेशल दिन के भीड़ हो जाती है। लेकिन अगर वीकेंड चार दिन का हो तब क्या पूछना? ठीक ऐसा ही हो रहा है इस विकेंड, जब मसूरी लोगों से खचा-खच भरी रहेगी। जितने तरह के पर्यटक उतनी ही तरह की गाड़ियां मसूरी की सड़कों पर देखने को मिल रही है।
कहने का मतलब साफ है, आने वाले शुक्रवार शाम से मसूरी लगभग फुल हो जायेगी और इससे सबसे ज्यादा खुश है स्थानीय होटल व्यापारी। होटल और रेस्टोरंट एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप साहनी का कहना है कि, ‘अब तक 50% बुकिंग हो चुकी है, लेकिन अधिकांश भारतीय यात्री लास्ट मिनट बुकिंग करते हैं इसलिए ज्यादातर बुकिंग हम शुक्रवार को आने की उम्मीद कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “मसूरी लंबे समय से ऑफ सीज़न में चल रही थी तो हम उम्मीद करते हैं आने वाला हफ्ता सभी होटल व्यवसायियों के लिए अच्छा साबित होगा।”
आकाश की ऊंचाइयों को छूता हुआ यह हिल स्टेशन हमेशा से ही सबकी पहली पसंद रहा हैं। जिसे भी शहर की धूल भरी और भाग दौड़ भरी जिंदगी से तुरंत ब्रेक चाहिए होता है वह यहा का रुख करता है। अलग-अलग शहर जैसे कि दिल्ली, हरियाणा, पंजाब के लोग आपको मसूरी के मॉल रोड पर टहलते नजर आयेंगे। मैदानी इलाकों में पड़ रही चिलचिलाती गर्मी और अपने रुटीन लाईफ से थोड़ा हटकर कुछ करने के लिए लोग मसूरी की ठंडी वादियों को चुनते हैं और अपना विकेंड यहां बिताना पसंद करते हैं।
मसूरी पहुंचना बाकि हिल स्टेशन से आसान हैं। रेल, रोड और हवाई यात्रा की सुविधा इसको और भी खास और पर्यटकों के लिए आसान बना देती है। जबकि पर्यटक मसूरी में आकर मौसम में खो जाते हैं और यहां के कल्चर का लुत्फ उठाते हैं। हालांकि शहर मे टूरिस्ट आने से यहां के लोकल लोगों के लिए परेशानियां थोड़ी बढ़ जरुर जाती हैं। जाम की समस्या, पानी की समस्या, सीवेज, कूड़े आदि की समस्या बढ़ जाती हैं। मसूरी निवासी दास कहते हैं कि, “जब आप पहाड़ की वादियों में रहते हो तो कुछ ना कुछ तो परेशानी होती ही है, यह हिल स्टेशन अगर दूर-दराज के लोगों को अपनी ओर खींच रहा हैं तो कुछ तो खास है। शायद यहां के लोकल लोगों को इसी खासियत की वजह से टूरिस्ट सीज़न में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है।”