नैनीताल हुआ 175 साल का

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rain saves naini lake

18 नवंबर को विश्व विख्यात नैनीताल 175वां जन्मदिन है।नैनीताल सन् १८४१ में शाहजहांपुर के चीनी व्यापारी पी बैरन व्दारा बसाया गया था।’नैनी’ शब्द का अर्थ है आँखें और ‘ताल’ का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार शिव सति के जले हुए शरीर को कन्धे पर डालकर आकाश – भ्रमण करना शुरु कर दिया। ऐसी स्थिति में जहाँ – जहाँ पर शरीर के अंग गिरे, वहाँ-वहाँ पर शक्ति पीठ हो गए। जहाँ पर सती के नयन गिरे थे, वहीं पर नैनादेवी के रुप में उमा अर्थात् नन्दा देवी का भव्य स्थान हो गया। आज का नैनीताल वही स्थान है, जहाँ पर उस देवी के नैन गिरे थे। नयनों की अश्रुधार ने यहाँ पर ताल का रुप ले लिया। तब से निरन्तर यहाँ पर शिवपत्नी नन्दा (पार्वती) की पूजा नैनादेवी के रुप में होती है।

पिछले कई दशकों से नैनीताल सैलानियों की बीच पसंदीदा पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है।  इस बार कार्यक्रम तल्लीताल जीजीआईसी के प्रांगण में रहेगा । कार्यक्रम में स्कूली बच्चों के साथ नगरवासी मौजूद रहेंगे। आयोजक दीपक बिष्ट ने बताया कि कार्यक्रम दोपहर दो बजे से शुरू होगा। उन्होंने नगरवासियों से बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की। जन्मदिन पर पिछले वर्षो की तरह दर्जनों केक काटे जाएंगे। इस अवसर पर सर्वधर्म सभा आयोजित की जाएगी। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित किया जाएगा साथ ही क्विज प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।