नैनीताल राजनीति: हेम की घर वापसी के बाद सरिता पर टिकी निगाहें

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कांग्रेस से टिकट के एक दावेदार हेम आर्य की भाजपा में ‘घर वापसी’ के बाद नैनीताल विधानसभा में सभी की निगाहें कांग्रेस की दूसरी दावेदार सरिता आर्या पर हैं।

पूर्व में नैनीताल नगर पालिका की अध्यक्ष रहीं सरिता 2012 के चुनाव में चुनाव से केवल 15 दिन पूर्व कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद से ही सक्रिय होकर पांच वर्ष से भी लंबे समय से चुनाव की तैयारी में लगे तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार हेम आर्य को करीब साढ़े चार हजार वोटों से हरा चुकी हैं। 2017 के चुनाव में वह भाजपा उम्मीदवार संजीव आर्य से करीब साढ़े सात हजार वोटों के अंतर से हारीं। वर्तमान में वह महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हैं।

संजीव आर्य व यशपाल आर्य के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आने के बाद से वह इन दोनों के विरुद्ध मुखर हैं और उन पर ‘मलाई खाने’ के लिए कांग्रेस में लौटने जैसे गहरे चुभने वाले बयान और हेम आर्य के साथ मंच साझा करते हुए पार्टी छोड़ने की भी धमकी दे चुकी हैं। उनकी चिंता इस बात को लेकर भी है कि यदि महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रहते वह अपने लिए ही टिकट नहीं पा सकतीं तो महिला कांग्रेस की प्रदेश भर की नेत्रियों को टिकट का भरोसा कैसे दे सकती हैं।

इधर संजीव आर्य के टिकट पक्का होने की शनिवार को आई खबरों के अगले ही दिन जहां हेम आर्य ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में घर वापसी कर ली। सरिता के इससे कहीं पहले से भाजपा के दिल्ली और उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय एक नेता के माध्यम से भाजपा हाईकमान के संपर्क में होने के साथ ही उन्हें कांग्रेस द्वारा मना लिए जाने और कांग्रेस की सरकार बनने पर राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाएं भी जोरों पर हैं। सरिता ने इन चर्चाओं का खंडन भी नहीं किया है। इस बीच उनके करीबियों के माध्यम से उन्हें मनाने के भी अनेक स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। उनके करीबियों के अनुसार वह चुनाव लड़ने पर आमादा हैं। टिकट कांग्रेस से मिले तो ठीक अन्यथा जहां से भी मिले।

इधर हेम आर्य के कांग्रेस छोड़ने पर ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के प्रतिक्रिया लेने पर सरिता ने माना कि हेम के जाने से कांग्रेस पार्टी को नुकसान होना तय है। अपनी नाराजगी दूर होने के प्रश्न पर उन्होंने कहा, अभी नाराजगी दूर नहीं हुई है। अलबत्ता, अपने अगले कदम पर उन्होंने कोई संकेत नहीं दिया।

इधर, भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों की मानें तो वह न हेम आर्य के भाजपा में लौटने से खुश हैं, न ही सरिता के आने की संभावना से। उन्हें लगता है कि सरिता पूर्व विधायक के नाते भाजपा में आईं तो उन्हें पार्टी से टिकट भी मिल सकता है। यदि ऐसा होगा तो भाजपा कार्यकर्ताओं के समक्ष एक तरह से वैसी ही स्थिति दोहराई जाएगी, जैसी 2017 में ठीक टिकट वितरण के दिन संजीव आर्य के पार्टी में आने व टिकट प्राप्त करने से हुई थी। भाजपा नगर मंडल के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ऐसा हुआ तो कार्यकर्ता ठगे रह जाएंगे। किसी भी बाहरी-गैर विश्वसनीय प्रत्याशी के लिए कार्यकर्ता इस बार कार्य नहीं करेंगे जो चुनाव जीतने पर या आगे पार्टी से वापस कहीं और चला जाए, और जिसका पूर्व में भी दल-बदल का इतिहास हो। इससे बेहतर है कि पार्टी संगठन से मजबूती से जुड़े ‘गरीब’ उम्मीदवार को भी चुनाव लड़ाएंगे, और उसे चुनाव जिता कर भी दिखाएंगे। अलबत्ता इतना जरूर है कि दूसरे दलों से आए लोगों का इस शर्त पर ही स्वागत किया जाएगा कि वह आएं और पार्टी को मजबूत करें। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि सरिता का अगला कदम किस ओर उठता है।