उत्तराखंड में पहली बार किया गया घायल बाघ को रेस्क्यू

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उत्तराखण्ड में पहली बार पहाड़ों से वयस्क नर बाघ को घण्टों की मशक्कत के बाद सकुशल रेस्क्यू कर नैनीताल ज़ू लाया गया है। नैनीताल जिले के बैतालघाट ब्लाक में एक खंडहर पड़े भवन के पीछे किसी तार में फंसे घायल बाघ को घंटों की मेहनत के बाद रात के अँधेरे में वन विभाग की टीम ने जीवित रेस्क्यू कर लिया। बाघ दोपहर से बेतालघाट के चांदपुर लेहडा गांव में घुस आया था जहाँ वो एक खँडहर पड़ी इमारत के पीछे की झाड़ियों में तार से लिपटकर फंस गया था । ग्रामीणों से सूचना मिलने के बाद नैनीताल ज़ू की तीन टीमें लगभग डेढ बजे नैनीताल से 100 किलोमीटर दूर घटनास्थल के लिए रवाना हुई । डी.एफ.ओ.समेत एस.डी.ओ. और ज़ू के रेंजर भी मौके की संवेदनशीलता को देखते हुए घटनास्थल पर पहुँच गए । ज़ू के चिकित्सक भी ट्रेंक्युलाइजर टीम को लेकर मौके पर पहुंचे । कई घण्टों की कड़ी मशक्कत के बाद इस जोखिमभरे ऑपरेशन में देर शाम बाघ को ट्रेंक्युलाइज कर बेहोश किया गया ।

दस फ़ीट लंबे और लगभग छह वर्ष आयु के इस नर बाघ की लंबाई 12 फ़ीट है जिसे तीन बार ट्रेंक्यूलाइज करके वन कर्मियों ने पिंजरे में डाला और उसे उच्च स्थलीय वन्यजीव प्राणी उद्यान यानि नैनीताल जू ले आए। ग्रामीणों के अनुसार उन्होंने दोपहर में बाघ को देखा और इसके बाद इसकी जानकारी वन विभाग को दी । बाघ को देखने के लिए सेटी, धारकोट, खौला, तल्ली सेटी, अमेल आदि के ग्रामीण भारी संख्या में पहुंचे थे । ग्रामीणों के अनुसार इस क्षेत्र में हिरन, घुरड़, गुलदार, सूकर आदि बड़ी संख्या में देखे जाते हैं और ये क्षेत्र कॉर्बेट पार्क से महज 15 किलोमीटर की दुरी पर हैं । डी.एफ.ओ.धर्म सिंह मीना ने बाघ को सकुशल रेस्क्यू कर नैनीताल ज़ू पहुँचाने के लिए टीम में शामिल कर्मियों का आभार जताया और बताया कि बाघ इतनी ज्यादा ऊंचाई में कम ही देखे जाते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि इस घायल बाघ को वो कुछ समय स्वस्थ्य होने तक रखकर इसके प्राकृतिक वास यानि जंगल में छोड़ देंगे।