”झुक सकता है आंसमा भी अगर तबियत से पत्थर उछाले कोई”
ऐसा ही कुछ किया है नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विजुवली हैंडीकैफ्ट के छात्रों ने। बीते 13 से 15 जनवरी तक एन.आई.वी .एच की 11 एथलीट्स की टीम नेशनल एथलेटिक्स फ़ॉर द ब्लाइंड में भाग लेने के लिये लुधियाना शहर पहुँचे थे।यहां पर देहरादून के बच्चों का सामना देश के कोने-कोने से आए ब्लाइंड एथलीट्स से हुआ।इस खेल में टी/एफ 11 से टी/एफ 13 की कैटेगरी वाली टीमें आये हुए थी।
एन.आई.वी.एच देहरादून की टीम में 6 लड़के और 5 लड़कियां थी।यह सभी बच्चे कोच नरेश् सिंह नयाल के साथ लागातार ट्रेनिंग करते हैं, खास बात यह है कि इन बच्चों से बात करने में पता चला कि इन्हें ट्रेनिंग के दौरान किसी भी तरह की रियायत नहीं मिलती है। वैसे तो यह चैंपियशीप सभी बच्चों ने जी जान लगा के खेली लेकिन यहाँ पर लड़को में नागेन्द्र ने 3 स्वर्ण जीतकर अपने आगमन की दस्तक दी और लड़कियों वर्ग में पूनम ने उम्दा प्रदर्शन करते हुए 3 स्वर्ण जीते।इतना ही नहीं अपने बेहतरीन प्रदशर्न से टीम ने कुल 23 पदक जीते। जिनमें 13 स्वर्ण ,7 रजत और 3 कांस्य पदक हैं।टीम के मैनेजर बृजलाल ने सभी के शानदार प्रदर्शन को सराहा तथा साथ में गयी अम्बिका नौटियाल ने भी टीम के प्रदर्शन की तारीफ की।
यह पहली बार नहीं हुआ है जब इन बच्चों ने राज्य का नाम उंचा किया है।इससे पहले हुए दिल्ली ब्लाइंड रिलीफ एसोसिएशन में नेशनल ब्लाइंड गेम्स में उत्तराखंड ने पॉवरलिफ्टिंग में 2 स्वर्ण पदक और एक रजत पदक हासिल किया था। जिसमें एन.आई.वी.एच के विजय सिंह व विनोद शाह ने अपनी अपनी केटेगरी में स्वर्ण पदक हासिल किया और जयवीर सिंह को रजत पदक प्राप्त हुआ। इन्हीं खेलों में पहली बार महिला कबड्डी को भी शामिल किया गया था और एन आई वी एच से 8 दृष्टिबाधित बालिकाओं ने शिरकत की है।
आपको बतादें कि यह सभी बच्चे मेहनत और अपने आत्मविश्वास से लगातार राज्य में अलग-अलग क्षेत्रों में मेडल ला रहे हैं।