नाटो देशों के रूस से लड़ने से इनकार के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि वह नाटो की सदस्यता नहीं चाहते।
जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन के लिए नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) सदस्यता देने की मांग को लेकर अब वे जोर नहीं दे रहे हैं। राष्ट्रपति ने इसे संवेदनशील मुद्दा बताते हुए कहा कि रूसी हमले का एक कारण यह भी है। रात एक इंटरव्यू में जेलेंस्की ने कहा कि नाटो की ओर से यूक्रेन को स्वीकार करने में असहमति के संकेत मिलने के बाद मैंने इस मामले को पहले ही ठंडे बस्ते में डाल दिया।
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हाउस आफ कामंस में ब्रिटिश सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि यूक्रेनी अपना देश नहीं खोना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह नाजियों के हमले के दौरान ब्रिटिश अपना देश नहीं खोना चाहते थे वैसे ही हम भी अपना देश नहीं खोना चाहते हैं। इससे पहले स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्लडालेना एंडरसन ने कहा था कि इस समय नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन करने से यूरोप में वर्तमान सुरक्षा स्थिति अस्थिर हो सकती है। उन्होंने कहा कि यदि हम इस समय नाटो से जुड़ने के लिए आवेदन करते हैं, तो यह क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी अस्थिरता बढ़ाएगा और इससे चिंताओं में भी इजाफा होगा।
बता दें कि हाल में ही यूक्रेन में ‘नो फ्लाई जोन’ को लागू करने से नाटो ने इनकार कर दिया है, जिस पर जेलेंस्की भड़क गए। उन्होंने नाटो के इस फैसले की आलोचना की और कहा कि इससे अब रूस को यूक्रेन के शहरों और गांवों पर बम बरसाने की इजाजत मिल गई। जेलेंस्की ने यह भी कहा कि नाटो इस बात से अवगत है कि रूस अभी और ज्यादा हमले करेगा फिर भी इसने जानबूझकर ऐसा फैसला ले लिया है।
जेलेंस्की ने कहा कि नाटो के इस फैसले के बाद यूक्रेन नहीं बचेगा तो पूरा यूरोप भी तबाह हो जाएगा। बता दें कि अब यूक्रेन की राजधानी कीव समेत अनेक शहरों को रूसी सेना ने घेर लिया है।