नेचुरल फार्मिंग के जरिए किसान बढ़ा सकते हैं आजीविका

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गोपेश्वर,  चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में जिला पंचायत सभागार में श्री श्री इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर सांइस एंड टैक्नोलॉजी बैगंलूर के माध्यम से जीरो बजट नैचुरल फार्मिंग पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए चमोली के मुख्य विकास अधिकारी हंसादत्त पांडेय ने कहा कि खेती को लाभप्रद बनाने के लिए जीरो लागत वाली प्राकृतिक कृषि पद्वति को अपनाकर किसान अपनी आजीविका को बढ़ा सकते है।

सोमवार को शुरू हुए इस कार्यशाल में बोलते हुए मुख्य विकास अधिकारी ने खेती को लाभकारी बनाने के लिए जीरो बजट पर आधारित नवीनतम प्राकृतिक कृषि पद्धति को बढावा देने की बात कही। कहा कि किसान नैचुरल फार्मिंग में कम से कम धन लगाकर अपनी खेती को लाभकारी बना सकते है। उन्होंने सभी संबंधित विभागों व किसानों को कार्यशाला का सदुपयोग करते हुए जीरो बजट नैचुरल फार्मिंग के तहत दिये जा रहे नवीन तकनीकियों को भंली भांति समझने व अपनाने को कहा।

इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर सांइस एण्ड टेक्नोलॉजी बेगंलूर की प्रशिक्षिका वेला गोलवाला ने कहा कि हम आज प्राकृतिक खेती को भूल चुके है। कहा कि यहां किसानों को खेती सिखाने नही बल्कि खेती याद दिलाने आयी हूं। जीरो बजट खेती के बारे में किसानों को जानकारी देते हुए कहा कि इस नवीन तकनीक में सब कुछ प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है। इस तरह की खेती में कीटनाशक, रासायनिक खाद और हाईब्रिड बीजों का इस्तेमाल नही होता है। इस तकनीक में किसान भरपूर फसल उगाकर लाभ कमा सकते है। नवीन तकनीक में गाय के गोबर, गौमूत्र, चने के बेसन, गुड, मिट्टी तथा पानी के मिश्रण से खाद तैयार की जा सकती है तथा रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर नीम, गोबर और गौमूत्र का इस्तेमाल किया जा सकता है। संकर बीजों के स्थान पर देशी बीज उपयोग में लाये जाते है। कहा कि कई राज्यों में किसान जीरो बजट नैचुरल फार्मिंग की नवीन तकनीक को अपना कर अच्छा लाभ कमा रहे है।