21 सितम्बर से आरम्भ होने वाले शारदीय नवरत्र इस बार शुभ मुहूर्त और महासंयोग लेकर आ रहे हैं। ऐसे में नवरत्रि के नौ दिन सुख-समृद्धिदायक होंगे। ऐसा संयोग सालों में आता है।
शारदीय नवरात्र शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व है। इन दिनों में मां की आराधना करने से साधक को सुख-समृद्धि व आरोग्य की प्राप्ति होती है। देवीपुराण में नवरात्रि में भगवती के आगमन व प्रस्थान के लिए वार अनुसार वाहन बताए हैं। इस बार माता का आगमन व गमन जनजीवन के लिए हर प्रकार की सिद्धि देने वाला है। ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शर्मा के अनुसार इस बार गुरुवार के दिन हस्त नक्षत्र में घट स्थापना के साथ शक्ति उपासना का पर्व काल शुरू होगा। गुरुवार के दिन हस्त नक्षत्र में यदि देवी आराधना का पर्व शुरू हो, तो यह देवीकृपा और इष्ट साधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
पंडित शक्तिधर शर्मा ने बताया कि, “इस बार नवरात्रि के प्रारंभ में कई सुखद योगों का भी लाभ प्राप्त होगा। सूर्य व चंद्रमा से निर्मित उभयचरी और दुरूधरा महान राजयोग में दुर्गा पूजा शुभ फलदायक रहेगी। गुरुवार व हस्त नक्षत्र के संयोग से नवरात्रि अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगा। भक्तिभाव से पूजा करने पर मां जगदंबे की कृपा मिलेगी।” ब्रह्मचर्य का पालन करें। मां के नाम का जाप करें जिससे मनोकामना पूरी होगी। पंडित शक्तिधर शर्मा के अनुसार 21 सितम्बर गुरुवार को शुक्ल योग में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6.03 बजे से सुबह 8.22 बजे तक है। समयाभाव या अन्य किसी कारण से उदयातिथि मानकर दिन भर कलश स्थापना हो सकेगी।