बनबसा में प्रशासन के लिए मुसीबत का सबब बन रहे हैं नेपाली नागरिक

0
899
नेपाली
टनकपुर (चंपावत),  विभिन्न प्रदेशों से जिले में प्रवासियों की वापसी का सिलसिला जारी है। इसके अलावा बड़ी संख्या में अन्य प्रांतों से आने नेपाली भी बनबसा पहुंच कर स्थानीय प्रशासन की मुसीबतें बढ़ा रहे हैं। सीमा सील होने के चलते वह अपने देश नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे में स्थानीय प्रशासन को उन्हें ठहराने और भोजन की व्यवस्था करने में मशक्कत करनी पड़ रही है।
अंतरराज्यीय सीमा सील हाेने से सैकड़ों नेपाली बनवसा में फंसे
ठहराने और खाने पीने का इंतजाम करने में हो रही है परेशानी
बताया गया कि अब तक बनबसा में 400 से अधिक नेपाली मजदूर पहुंच चुके हैं। यह नेपाली अपने देश जाना चाहते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय सीमा सील हाेने से वे बनबसा और टनकपुर में फंसे हैं। चम्पावत जनपद की सीमा जगबूढ़ा पुल पर बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों की स्क्रिनिंग हो रही है और उन्हें बनबसा में रोका जा रहा है। स्थानीय प्रशासन को बाहरी राज्यों से आ रहे स्थानीय लोगों के साथ नेपाली लोगों की भी व्यवस्था करनी पड़ रही है। बनबसा के डिग्री काॅलेज, शारदा इंटर काॅलेज व सरस्वती शिशु मंदिर के सभी कमरे भर चुके हैं। प्रशासन प्रवासियों के साथ नेपाली लोगों के खाने पीने रहने का इंतजाम कर रहा है। बहुत से प्रवासी ऐसे हैं, जो बाहरी राज्यों से अपने खर्चे पर बसें बुक करा कर ला रहे हैं। दूसरे राज्यों से आ रहे चालक पहाड़ों पर गाड़ी चलाने से इन्कार करने पर प्रशासन को स्थानीय रोडवेज बसों का इंतजाम करना पड़ रहा है।
बताया जा रहा है कि पिथौरागढ़ प्रशासन ने रात आठ बजे के बाद जिले में वाहनों को प्रवेश नहीं दे रहा है। ऐसे में तीन-चार बजे के बाद टनकपुर पहुंच रहे पिथौरागढ़ जिले के प्रवासी लोगों को भी टनकपुर में रोकना पड़ रहा है। व्यवस्था बनाए रखने के लिए जगबूढ़ा पुल पर अधिकारी व कर्मचारी रात-दिन ड्यूटी कर रहे हैं। एसडीएम दयानंद सरस्वती ने बताया कि टनकपुर-बनबसा में रोजाना सात-आठ सौ लोगों के लिए भोजन आदि का प्रबंध करना पड़ रहा है। प्रवासियों से सभी राहत शिविर भर चुके हैं। अब राहत शिविरों के लिए निजी स्कूलों के भवनों का अधिग्रहण किया जा रहा है।