सरोवरनगरी के बारे में कहा जाता है, ‘पहले यहां कोई आना नहीं चाहता-और फिर कोई जाना नहीं चाहता।’ ऐसा ही एक व्यक्ति है पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के कालीकोट जिले का रहने वाला नित्या। इन दिनों जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे नित्या को बचाने के लिए नैनीताल की पुलिस ने इंसानियत की जो मिसाल पेश की है, वह सराहनीय है।
बचपन से नैनीताल में रहने वाला करीब 60 वर्षीय नित्या खुद को नेपाली नहीं वरन हिन्दुस्तानी मानता है। इस मुद्दे पर वह नेपाली लोगों से भी अलग रहता है। इस कारण उसकी देखरेख करने के लिए उसका कोई सगा-सम्बंधी यहां नहीं है। पूर्व में लोगों का बोझ ढोने एवं तल्लीताल में यातायात को व्यवस्थित करने के कारण नगर वासियों ही नहीं, नियमित रूप से नैनीताल आने वाले सैलानियों में भी पहचान रखने वाला नित्या कोरोना काल में अस्वस्थता के बाद इधर अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। पिछले काफी समय से वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गया है। ऐसे में तल्लीताल थाना पुलिस, चीता मोबाइल एवं कुछ अन्य लोग उसके प्रति मानवता का धर्म निभाकर मिसाल पेश कर रहे हैं।
चीता मोबाइल प्रभारी शिवराज राणा ने बताया कि उसके लिए पुराने रोडवेज स्टेशन के गैराज में रहने और बिस्तर की तथा पास के होटलों-रेस्टोरेंटों से भोजन की व्यवस्था की गई है। यहां से वह सुबह धूप निकलने के बाद घिसट-घिसट कर गांधी मूर्ति के पास धूप सेंकने आ जाता है। उसे गर्म कपड़े एवं समय-समय पर चाय-पानी उपलब्ध कराकर बचाने की कोशिश की जा रही है। यह कार्य इन दिनों नैनीताल पुलिस के सोशल मीडिया पेज पर भी वायरल हो रहा है।