हरीश रावत स्टिंग मामले में अगली सुनवाई एक अक्टूबर को

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देहरादून,  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग और विधायकों के खरीद फरोख्त प्रकरण में शुक्रवार को नैनीताल हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ के समक्ष संक्षिप्त सुनवाई हुई। इस दौरान अगली सुनवाई एक अक्टूबर को तय की गई है। वही कोर्ट के फैसलों को लेकर कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व नैनीताल में पहले से ही डेरा जमाए हुए थे।
शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग और विधायकों के खरीद फरोख्त प्रकरण पर न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। हरीश रावत की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील देवीदत्त कामथ ने बहस की। सीबीआई ने हरीश रावत के वकीलों के तर्कों का विरोध करते हुए कोर्ट में कहा कि जांच पूरी हो गई है और उसे एफ़आईआर दर्ज करने की अनुमति मिलनी चाहिए। साथ ही कहा कि  रावत जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। जबकि रावत के वकील ने सहयोग करने की बात कही।
एक के बाद एक कांग्रेस नेताओं पर सीबीआई के बढ़ते शिंकजे को लेकर कांग्रेस पार्टी सरकार के दबाव में लगातार आरोप लगा रही है। उत्तराखण्ड कांग्रेस नेताओं पर सीबीआई के बढ़ते शिंकजे  को लेकर कांग्रेस पार्टी भाजपा सरकार पर परेशान करने का आरोप लगा रही है। उत्तराखण्ड कांग्रेस हरीश रावत के बचाव में पूरी एकजुटता के साथ खड़ी है। इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस ने  पूरी ताम झाम के साथ  अपनी बात भी रखी थी। वहीं आज कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश सहित राज्य के बड़े नेता नैनीताल मेें पहले से डेरा जमाए हुए थे। दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में सनाटा पसरा हुआ था। इसके बीच महानगर महिला मोर्चा की ओर से हरीश रावत पर सीबीआई के खिलाफ शांतिपूर्वक प्रदर्शन भी किया। इस मौके पर महिला मोर्चा की अध्यक्ष कमलेश रमन ने कहा कि सीबीआई सरकार की कठपुतली बनी हुई है। हमारे नेता हरीश रावत पर सरकार बदले की भावना से सीबीआई का उपयोग कर रही है लेकिन हमे न्याय मिलेगा।
स्टिंग का मामला 
तत्कालीन सीएम हरीश रावत का निजी चैनल ने 2016 में एक स्टिंग दिखाया था  जिसमे रावत अपनी सरकार बचाने को लेकर विधायकों से सौदेबाजी कर रहे हैं। इस दौरान सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक भाजपा में शामिल हो गये। मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने के बाद रावत सरकार फिर बहाल हो गई थी, लेकिन इस बीच रहे राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल की संस्तुति पर केंद्र ने स्टिंग मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिये थे।
तत्कालीन वरिष्ठ काबीना मंत्री डॉ.इंदिरा हृदयेश की अगुवाई में सरकार की बहाली के बाद कैबिनेट की बैठक में राज्यपाल की सीबीआई जांच की संस्तुति को वापस लेने तथा प्रदेश स्तर पर एसआईटी से इसकी जांच का फैसला लिया गया, लेकिन केंद्र ने इसे स्वीकार नहीं किया और रावत के खिलाफ सीबीआई की प्रारंभिक जांच जारी रही। उस दौरान हरीश रावत की सीबीआई जांच के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जोकि अब भी लंबित चल रही है। इस मामले में भाजपा में शामिल हुए वर्तमान काबीना मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने भी अलग से याचिका दायर की।
मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने याचिका दायर कर कहा था कि 2017 में कांग्रेस की सरकार गिरने पर उनके स्टिंग और विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में प्रारंभिक जांच पर रोक लगाई जाए। पूर्व की सुनवाई में सीबीआई ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश कर कहा था कि वे हरीश रावत के  खिलाफ एफआईआर दर्ज करने जा रहे हैं। जबकि कोर्ट ने पूर्व में सीबीआई को निर्देश दिए थे कि उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से पहले कोर्ट को जानकारी दे। इसी के क्रम में सीबीआई की ओर से कोर्ट को बताया गया था।