सुबह के 7 बजे मसूरी की व्यस्त सड़कों पर मेरी मुलाकात हिमांशु रावत से हुई, 2 महीने की छुट्टियों में वह अपने घर चंबा से मसूरी अाया हैं और उनके आने की वजह है उनका निरंकारी मंडल में स्वंयसेवक होना। 19 वर्षीय हिमांशु 13 स्वयंसेवकों में से एक है जो मसूरी के तीन व्यस्त चौराहें क्लॉक टॉवर से लाइब्रेरी तक 2 शिफ्ट में काम करते है, केवल यह सुनिश्चित करने के लिए कि यातायात की कोई समस्या ना रहें और वह निरंतर चलता रहे।
हर साल, मई और जून का महीना मसूरी शहर के लिए सबसे व्यस्त महीना होता है क्योंकि इस समय देशभर के टूरिस्ट गर्मी से बचने के लिए पहाड़ो में आते हैं। इन दो महीनों में ट्रैफिक की समस्या ना केवल टूरिस्ट के लिए बल्कि क्षेत्रीय लोगों के लिए भी बड़ी समस्या है। यह स्वंयसेवक खाकी यनिफार्म, जैकेट और हाथ में सीटी लिए इस काम को बखूबी निभा रहे हैं।
स्थानीय निवासी दुर्गेश रतुड़ी बताते हैं, ‘अगर हमारे पास और अधिक निस्वार्थ निष्ठावान स्वयंसेवक होते तो मसूरी की ज्यादातर समस्याओं का हल हो जाता। विनम्र और सादगी भरा व्यवहार होने के कारण ये इन युवाओं द्वारा किया जा रहा काम और अधिक सराहनीय है।’ अपने व्यस्त काम में से थोड़ा समय निकालकर हिमांशु ने हमारी टीम से बातचीत में बताया, ‘यह तो निर्स्वाथ सेवा है, नोकं झोंक होती है,लेकिन हम प्यार से समझाते हैं और जो अगर ज्यादा तंग करता है तो उसे ट्रैफिक पुलिस समझा देती है।’
हरभजन सिंह, मसूरी ज़ोनल इंचार्ज कहते हैं कि, ‘पिछले 4-5 साल से निरंकारी मंडल सेवा दल स्थानीय मुद्दों में सहायता कर रहा है, जिससे जैसे ट्रैफिक, सफाई आदि।’ वहीं पुलिस कांस्टेबल रोशन बताते हैं कि, ‘यह लोग बड़ी मदद करते हैं, इनका स्वभाव अच्छा है, यह हमारा अच्छे से साथ देते हैं और हमारा सहयोग करते हैं।
हर बीतते साल में मसूरी के हालात खराब से बदतर होती जा रहीं है। हिमांशु जैसे स्वयंसेवकों ने मसूरी में फैले अराजकता को कुछ सुलझाने में मदद की है, और संभवत: स्थानीय लोगों को उनका शुक्रिया अदा जरुर करना चाहिए।